नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी अल्गो-वारफेयर पर आयोजित करेगी एक वेबिनार
punjabkesari.in Monday, Dec 14, 2020 - 05:59 PM (IST)
नेशनल डेस्कः आधुनिक युद्ध में एक नए युग की सुबह तेजी से आ रही है। राष्ट्रों के बीच सशस्त्र संघर्ष के मामले में मानव दुर्घटना की संभावना को समाप्त करने के लिए एलगोरिदमिक वारफेयर एक अगला कदम है। समय के साथ, दुनिया ने युद्ध तकनिकी में बड़े पैमाने पर विकास देखा है और आने वाली पीढ़ी, उनके समय में, किसी और समय की तुलना में युद्ध के मैदानों में अधिक से अधिक मशीनों के उपयोग का गवाह बनेगी। हमारे पास अब ऐसी विकसित मशीनें हैं जो कम से कम मानव हस्तक्षेप का उपयोग करते हुए सर्वोच्च गति से जटिल गणना कर सकती हैं और सीख सकती हैं।
इसके मद्देनजर, राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU), भारतीयों को प्रौद्योगिकी के तेजी से विकास के बारे में जानकारी देने के लिए अल्गोरिथमिक वारफेयर पर एक विस्तृत वेबिनार लेकर आ रहा है, जो की 15 दिसम्बर 2020 को होने वाला है। प्रसिद्ध विमानन और रक्षा विशेषज्ञ डॉ पीटर लेटन द्वारा आयोजित यह वेबिनार, भारत में प्रसारित होने वाला अपनी तरह का पहला कार्यक्रम होगा।
इस विषय के बारे में, आरआरयू के कुलपति, प्रोफेसर (डॉ) बिमल एन पटेल ने कहा कि आधुनिक युद्ध तकनीक में आगे बढ़ने का तरीका जटिल मशीनों की गणना-शक्ति का कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से उपयोग करना है। “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित मशीनों में, मनुष्यों की तुलना में, युद्ध के मैदान में, त्रुटियों के लिए बहुत कम जगह होती है। डॉ बिमल ने कहा कि मानव आज तक सबसे प्रभावी युद्ध मशीन है, लेकिन आने वाला समय,अत्यधिक विकसित यांत्रिक प्राणियों का है।
मशीनी बुद्धि, आने वाले समय में युद्ध के स्वरूप को बदल देगा। वार वेटरन लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ सुब्रत साहा जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य होने के साथ-साथ आरआरयू के स्कूल ऑफ मिलिट्री अफेयर्स, एसट्रेटजी और लोजीसटीक्स (एसएमएएसएल) के निदेशक भी हैं, ने कहा कि “सुपर कंप्यूटर और मशीन लर्निंग के आगमन से खुफिया, निगरानी, लक्ष्यीकरण और टोही आदि कार्यों में ज्यादा मदद मिलेगी, जिससे की सैनिक, युद्ध के मैदान में संवेदनशील हिस्से पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे”।
आरआरयू के कार्यकारी निदेशक कोणार्क राय ने कहा, "प्रौद्योगिकी का अर्थ केवल यह नहीं है कि मशीनों को मनुष्यों की सहायता करनी चाहिए बल्कि आधुनिक तकनीक, युद्ध के समय अधिक संज्ञानात्मक क्षमता के साथ फ्रंटलाइन पर मनुष्यों को प्रतिस्थापित करने में सक्षम होगी। यदि युद्ध होती है तो, अल्गोरिथमिक वारफेयर, युद्ध के रणनीतियों को विकसित तरीके से मशीनों को सीखने में मदद करेगा जो कि अपने राष्ट्र को युद्ध जीतने में मददगार साबित होगा। "
एक ऐसी दुनिया में जहां युद्ध के पारंपरिक तकनीक को शक्तिशाली और विकसित तकनीक के साथ खत्म किया जा रहा है, वहां भारत को अपने इस युद्ध की रणनीति में शीर्ष पर रहना होगा। एसएमटीएल के निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा ने कहा कि "राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय देश में स्वदेशी क्षमता को प्रोत्साहित करने, उनके अध्ययन व अनुसंधान करने, इनक्यूबेट करने और विकसित करने का बीड़ा उठा रहा है।"
डॉ पीटर लेटन
डॉ पीटर रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट (RUSI) में एसोसिएट फेलो होने के दौरान ग्रिफिथ एशिया यूनिवर्सिटी और ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी में विजिटिंग फेलो हैं। विमानन और रक्षा पर अपने विशेष ज्ञान के साथ, उन्होंने अल्गोरिदमिक वारफेयर पर गहन शोध किया है और इस विषय पर कई लेख प्रकाशित किए हैं। डॉ पीटर ने रक्षा और विदेशी मामलों के सार्वजनिक नीति पर नियमित रूप से अपने विचार व्यक्त किये। अपने व्यापक शोध के आधार पर, उन्होंने 'ग्रैंड स्ट्रेटेजी' पुस्तक भी प्रकाशित की है।
RRU के बारे में
राष्ट्रीय सुरक्षा में इक्षुक प्रतिभाओं को उनके पसंद के विषयों में प्रशिक्षित दिमाग की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय रक्षा, राजनयिक और सुरक्षा के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए समान रूप से सुरक्षित शिक्षा की जरूरतों को पूरा करता है। RRU, SASTRA (सुरक्षा और वैज्ञानिक तकनीकी अनुसंधान एजेंसी) की सुरक्षा और वैज्ञानिक नवाचारों ने भारतीय सुरक्षा कर्मियों को प्रौद्योगिकी के साथ संचालन शुरू कर दिया है, जो निगरानी में मदद करेंगे और सीमाओं के साथ-साथ देश के भीतर सुरक्षा खतरों के साथ सीधे संपर्क से बचेंगे।