14 सितंबर से शुरू होगा संसद का मानसून सत्र, जारी हुआ नोटिफिकेशन

punjabkesari.in Monday, Aug 31, 2020 - 09:30 PM (IST)

नई दिल्लीः संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू होगा। इस संबंध में लोकसभा सचिवालय की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। बताते चलें कि  मंत्रिमंडल की संसदीय मामलों की समिति ने आगामी मानसून सत्र 14 सितम्बर से आहूत करने की सिफारिश की थी। एक अक्टूबर तक चलने वाले इस सत्र के दौरान कुल 18 बैठकें प्रस्तावित हैं। मानसून सत्र को लेकर जोरदार तैयारियां चल रही है क्योंकि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर संसदीय इतिहास में बहुत कुछ पहली बार होने जा रहा है।

अधिकारियों के मुताबिक उचित दूरी का पालन करने के लिए नई व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं। मसलन, सदस्यों के बैठने के लिए दोनों सदन कक्षों और दीर्घाओं का इस्तेमाल किए जाने की संभावना है। राज्यसभा सचिवालय के मुताबिक सत्र की कार्यवाही के दौरान उच्च सदन के सदस्य दोनों सदन कक्षों और दीर्घाओं में बैठेंगे।

आम तौर पर दोनों सदनों में एक साथ बैठकें होती हैं लेकिन इस बार असाधारण परिस्थिति के कारण एक सदन सुबह के समय बैठेगा और दूसरे की कार्यवाही शाम को होगी। भारतीय संसद के इतिहास में पहली बार इस तरह की व्यवस्था होगी जहां 60 सदस्य सदन कक्ष में बैठेंगे और 51 सदस्य राज्यसभा की दीर्घाओं में बैठेंगे। इसके अलावा बाकी 132 सदस्य लोकसभा के सदन कक्ष में बैठेंगे। लोकसभा सचिवालय भी सदस्यों के बैठने के लिए इसी तरह की व्यवस्था कर रहा है। दीर्घाओं से भागीदारी के लिए पहली बार बड़े डिस्प्ले वाली स्क्रीन और कंसोल लगाए जाएंगे। दोनों सदनों के बीच विशेष तार बिछाए जाएंगे और कुर्सियों के बीच पॉलीकार्बोनेट शीट की व्यवस्था होगी।

राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने 17 जुलाई को बैठक कर सत्र चलाने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार-विमर्श करने के बाद दोनों सदनों के चैंबरों और दीर्घाओं का इस्तेमाल करने का फैसला किया। नायडू ने अधिकारियों को अगस्त के तीसरे सप्ताह तक सत्र के लिए तैयारियां पूरी कर लेने का निर्देश दिया था, ताकि इस व्यवस्था का मुआयना हो जाए और इसे अंतिम रूप दिया जा सके।

राज्यसभा सचिवालय भी इस काम के लिए पिछले तीन सप्ताह से लगातार काम कर रहा है। महामारी के कारण संसद के बजट सत्र की अवधि में कटौती कर दी गयी थी और 23 मार्च को दोनों सदनों को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था। परंपरा के तहत दो सत्रों के बीच छह महीने का अंतराल नहीं होना चाहिए।


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Yaspal

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