मानसून सत्रः हंगामे के बीच जमकर हुआ राज्यसभा में कामकाज, 25 विधेयक भी हुए पास

punjabkesari.in Wednesday, Sep 23, 2020 - 07:46 PM (IST)

नई दिल्लीः राज्यसभा के 252 वें सत्र की कार्यवाही कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न असाधारण स्थिति के मद्देनजर बुधवार को निर्धारित अवधि से पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी।   मानसून सत्र में 18 बैठकें आयोजित थी, लेकिन कोरोना वायरस के चलते सिर्फ 10 बैठकें ही हो सकी हैं। इस बार का सत्र कामकाज के लिहाज से बेहद बेहतर रहा। भारी हंगामे के बीच करीब 25 बिलों को ऊपरी सदन ने मंजूरी दी। लेकिन इस दौरान विपक्ष ने कृषि बिल को लेकर सदन में हंगामा किया और सदन की कार्यवाही बाधित हुई।

मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में 25 विधेयक पारित किये गये और छह पेश किये गये। शून्यकाल में 92 और विशेष उल्लेख के तहत 62 मुद्दे उठाये गये। इसके अलावा रक्षा मंत्री ने चीन सीमा पर स्थिति और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा हर्षवर्धन ने कोरोना महामारी के संबंध में वक्तव्य दिये। इतिहास में पहली बार सदन के सदस्य छह विभिन्न स्थानों पर बैठे। संसद के दोनों कक्ष और दीर्घायें इसके लिए इस्तेमाल की गयी।

राज्यसभा में जमकर हुआ काम
सदन ने पहली बार शनिवार और रविवार को भी काम किया। इस दौरान साप्ताहिक अवकाश और भोजनावकाश नहीं लिया गया। हालांकि इस सत्र में असाधारण परिस्थितयों मद्देनजर समय की कमी को देखते हुए इस बार प्रश्नकाल का संचालन नहीं किया गया। सदन में कामकाम का प्रतिशत 100.47 रहा। सदन का 10 दिन में 38 घंटे 30 मिनट का कामकाज निर्धारित था जबकि सदन ने 38 घंटे 41 मिनट काम किया। शोरशराबे में तीन घंटे 15 मिनट का समय बरबाद हो गया जबकि सदस्यों ने तीन घंटे 26 मिनट अतिरिक्त कामकाज किया। पिछले तीन सत्रों में सदन की उत्पादकता सर्वाधिक रही।

राज्यसभा की दस बैठकों में 22 घंटे तीन मिनट का समय विधायी कार्यों में व्यतीत हुआ। सदन की कार्यवाही में कुल 198 सदस्यों ने हिस्सा लिया। सरकार ने 1567 अतारांकित प्रश्नों के उत्तर दिये। सदन के इतिहास में पहली बार उप सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया गया। लेकिन इसके लिए 14 दिन का समय आवश्यक होता है। इसलिए नोटिस स्वीकार नहीं किया गया।

वहीं, सभापति वेकैंया नायडू ने सत्र के दौरान सदन में हुए घटनाक्रम पर अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि इससे सदन की गरिमा को ठेस पहुंची है और ऐसी घटनाओं को टालने का प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि सदन के संचालन के लिए नियमों का पालन आवश्यक है।  सभापति ने कहा कि संसद की कार्यवाही का लंबे समय तक बहिष्कार ठीक नहीं है। इससे सदस्य अपनी बात कहने के लिए प्रभावी मंच से वंचित हो जाते हैं।


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Yaspal

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