मोदी 56 इंच के सीने की बात करते हैं, लेकिन गरीबों के आंसू पोंछने का दिल नहीं रखते : सिद्धरमैया

punjabkesari.in Wednesday, Jan 27, 2021 - 06:06 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने किसानों के आंदोलन को लेकर केंद्र के रवैये पर निशाना साधते हुए कटाक्ष किया कि 56 इंच के सीने की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गरीबों के आंसू पोछने वाला दिल नहीं रखते। उन्होंने पूछा कि दिल्ली में मंगलवार को किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के संदर्भ में केंद्र सरकार का खुफिया विभाग क्या कर रहा था। प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि क्या प्रदर्शन में आतंकवादी शामिल थे, इसे सार्वजनिक किया जाए।

किसान दो महीने से भी ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे
सिद्धरमैया ने कहा यह सरकार की विफलता है, किसान दो महीने से भी ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे थे, वे अब तक 11 दौर की बातचीत कर चुके हैं। क्या मुद्दे के समाधान के लिये 11 दौर की जरूरत होती है? उन्होंने कहा किसानों की सिर्फ यह मांग है- कुछ कानून किसान विरोधी हैं, वे कृषि क्षेत्र के खिलाफ काले कानून हैं – और इन्हें वापस लिया जाना चाहिए। यहां संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कड़ाके की ठंड के बावजूद किसान 60 दिनों से भी ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे हैं और उनमें से कुछ ने अपनी जान भी गंवाई है।

गरीबों के आंसू पोंछने का दिल नहीं रखते पीएम मोदी
सिद्धरमैया ने कहा नरेंद्र मोदी 56 इंच के सीने की बात करते हैं, सीना कितना बड़ा है यह महत्वपूर्ण नहीं है, उसमें एक दिल होना चाहिए जो गरीबों के आंसू पोंछ सके। मोदी के पास वह नहीं है। क्या उन्होंने एक बार भी अब तक किसानों को बुलाया और उनसे बात की? उन्होंने दावा किया कि मोदी ने इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया और कानून निरस्त नहीं करना चाहते। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अंबानी और अडाणी जैसे बड़े कॉरपोरेट घरानों की गुलाम बन गई है और जैसा उन्होंने फरमान सुनाया वैसा ही कानून बनाया गया।

किसानों के बारे में गैरजिम्मेदाराना बात न करें
प्रदेश के कृषि मंत्री बी सी पाटिल किसानों के प्रदर्शन को आतंकवादियों द्वारा लड़ाई बताए जाने संबंधी कथित बयान को सिद्धरमैया ने गैरजिम्मेदाराना करार दिया। उन्होंने कहा क्या सरकार के पास खुफिया तंत्र नहीं है। उन्हें बताने दीजिए कौन से आतंकवादी शामिल हैं, किसानों के बारे में बोलते हुए किसी को भी गैरजिम्मेदाराना बात नहीं कहनी चाहिए। उन्हें बताने दीजिए कि कौन से आतंकवादी हैं या फिर खालिस्तान आंदोलन से जुड़े लोग इससे संबंधित हैं।


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rajesh kumar

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