मोदी ने उठाया टूलकिट मामला, कहा- कांग्रेस असम के चाय को खत्म करने वालों का समर्थन कर रही
punjabkesari.in Saturday, Mar 20, 2021 - 08:37 PM (IST)
नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस खुलेआम उन ताकतों का समर्थन कर रही है, जो असम की चाय की पहचान को समाप्त करना चाहती हैं और चाय उद्योग को नष्ट करना चाहती हैं। ऊपरी असम के इस शहर में एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस राज्य के सबसे पुराने उद्योग के ‘‘गौरव एवं वैभव'' के साथ खिलवाड़ कर रही है।
एक दिन पहले ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यहां चाय बागान के श्रमिकों के साथ वार्ता की थी। उन्होंने कहा कि हाल ही में एक ‘‘षड्यंत्र'' के तहत दुनिया भर में मशहूर असम की चाय और योग को बदनाम करने के लिए एक टूलकिट का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘असम की चाय के खिलाफ षड्यंत्र रचा गया। आप सबने टूलकिट के बारे में सुना होगा। इसमें असम के चाय बागानों को खत्म करने की बात थी। कोई भी भारतीय ऐसा नहीं होने देगा।''
प्रधानमंत्री संभवत: स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के विवादास्पद टूलकिट का जिक्र कर रहे थे, जिसे थनबर्ग ने ट्वीट किया था और फिर उसे डिलीट कर दिया था। इसमें लोगों को किसान आंदोलन में हिस्सा लेने का कार्यक्रम बताया गया था। उसमें कथित तौर पर उल्लेखित बिंदुओं में एक यह भी था कि ‘‘भारत की योग और चाय की छवि को खराब किया जाए।''
मोदी ने कहा, ‘‘कांग्रेस ऐसी ताकतों का समर्थन कर रही है। और ऐसा करते हुए भी वे यहां आकर चाय बागान के श्रमिकों से वोट मांगने की धृष्टता कर रहे हैं। वे इतना नीचे गिर गए हैं। उन्हें दंड मिलेगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘एक चायवाला से बेहतर चाय श्रमिकों की समस्याओं को कौन समझ सकता है।''
प्रधानमंत्री मोदी अपने पुराने दिनों को याद कर रहे थे, जब गुजरात में वह एक बालक के तौर पर रेलवे स्टेशन पर और ट्रेनों में चाय बेचते थे। असम की चाय विधानसभा चुनावों के दौरान चुनावी विमर्श का हिस्सा रही है। इस महीने के शुरू में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने असम में चुनाव प्रचार अभियान के दौरान ‘मेखला चादर' पहनी थी। उन्होंने झूमर नृत्य भी किया था और चाय की पत्तियां तोड़कर उन्हें अपनी पीठ पर रखी टोकरी में डालना सीखा था।
राहुल गांधी ने असम में चुनाव प्रचार करते हुए चाय बागान श्रमिकों की कम मजदूरी की आलोचना की थी। राहुल गांधी ने असम में शिवसागर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘असम के चाय बागान मजदूरों को 167 रुपये दिहाड़ी के रूप में मिलते हैं जबकि गुजरात के व्यापारियों को चाय बागान मिलते हैं। हम चाय बागान के मज़दूरों की दिहाड़ी बढ़ाकर 365 रुपये प्रतिदिन करेंगे। पैसा कहां से आएगा? यह गुजरात के व्यापारियों से आएगा।''
चाय बागानों के मजदूरों की दिहाड़ी 167 रुपये से बढ़ाकर 365 रुपये करने का वादा कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल है, जो गांधी ने शनिवार को जारी किया था। गांधी ने शुक्रवार को चाय बागान श्रमिकों के साथ दोपहर का भोजन किया था। उन्होंने घोषणा की कि कांग्रेस यह बढ़ोतरी राज्य में अपनी सरकार बनने के छह घंटे के भीतर लागू होगी। मोदी ने कहा कि कुछ दिनों पहले कांग्रेस ने श्रीलंका के चाय बागानों की तस्वीरें जारी की थीं और उससे पहले ताइवान के चाय बगानों को असम के चाय बगान बताए थे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘गलती एक बार हो सकती है, लेकिन जब बार-बार होती है तो यह मानसिकता को दर्शाती है। यह असम की खूबसूरत धरती से अन्याय है और उसका अपमान है।'' उन्होंने कांग्रेस पर प्रहार करते हुए कहा, ‘‘जो लोग असम की ‘अस्मिता' की बात करते हैं, उनके चेहरे बेनकाब हो गए हैं।'' चाय बागान श्रमिकों की दिहाड़ी में वृद्धि के बारे में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह ‘‘झूठ फैला रही है।''
मोदी ने कहा कि भाजपा उनकी मजदूरी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और सर्बानंद सोनोवाल सरकार ने इसके कार्यान्वयन के लिए कदम उठाए थे लेकिन मामला अदालत में चला गया जहां यह लंबित है। चाय बागान श्रमिकों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र और असम सरकारें मिलकर उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा सुविधाएं, आवास, शौचालय, गैस कनेक्शन और स्वच्छ पेयजल प्रदान करने के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि असम के चाय बागान न केवल अन्य राज्यों बल्कि विदेशों में भी जैविक चाय का निर्यात करके 'आत्मानिभर भारत' मिशन का एक अभिन्न हिस्सा बन सकते हैं।