ऑफ द रिकॉर्डः चीनी कंपनियों के खिलाफ कड़ाई में ‘ढील देने के मूड में नहीं नरेन्द्र मोदी’

punjabkesari.in Thursday, Feb 25, 2021 - 05:15 AM (IST)

नई दिल्लीः पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में पैंगोंग झील से सेना की वापसी से कुछ सकारात्मक संकेत देने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन के विरुद्ध कड़ाई में ढील देने को फिलहाल तैयार नहीं दिखाई देेते। मोदी सरकार ने अप्रैल 2020 में सीमापार से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ.डी.आई.) पर लगाई गई पाबंदी में राहत देने से इंकार कर दिया।

अप्रैल 2020 से भारतीय कंपनियों में चीन के 2 बिलियन डॉलर तक निवेश के प्रस्ताव लंबित हैं और हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच होने वाला व्यापार 2019 के 85.5 बिलियन डॉलर से कम होकर 77.7 बिलियन डॉलर पर आ गया है। यह किसी एक साल 50,000 करोड़ से अधिक है और दोनों देशों में यह अब तक की सबसे बड़ी व्यापारिक गिरावट है।

पहले, चीन से निवेश ‘ऑटोमैटिक रूट’ से अपने आप आ जाता था परंतु 17 अप्रैल 2020 को नियम सख्त करते हुए यह तय कर दिया गया कि भारत से सीमा सांझा करने वाला कोई भी देश, उसका कोई नागरिक या कोई कंपनी अब भारत में ‘ऑटोमैटिक रूट’ से निवेश नहीं कर सकता है। ऐसे किसी भी निवेश को अब सरकार की अनुमति पहले से लेनी पड़ेगी। नए नियमों के कारण पाकिस्तान, नेपाल, बंगलादेश, म्यांमार व अन्य देशों से आने वाला निवेश रोका गया है। 

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बताया था कि 92 चीनी कंपनियों ने भारत में अपना आधार बनाया है और इनमें से 80 इस समय ‘सक्रिय’ हैं। कुल मिलाकर भारत में चीनी कंपनियों के 2474 निवेश हैं। प्रधानमंत्री ने पड़ोसी देश के संैकड़ों एप प्रतिबंधित करने के साथ ही वहां से आने वाले निवेश की गति रोक दी है।  


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Content Writer

Pardeep

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