मिशन गगनयान: रूस में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की हार्ड ट्रेनिंग शुरू

punjabkesari.in Tuesday, Feb 18, 2020 - 12:45 PM (IST)

नेशनल डेस्कः देश की प्रतिष्‍ठा से जुड़े महत्‍वाकांक्षी मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए रूस में भारतीय वायुसेना के 4 पायलट कड़ी ट्रेनिंग ले रहे हैं। रूस की प्रक्षेपण सेवा प्रदाता कंपनी ग्लावकोस्मोस ने बताया कि भारतीय वायुसेना के 4 पायलटों को अंतरिक्ष अभियान के लिए योजना के अनुसार 12 महीनों का प्रशिक्षण मास्को स्थित गागरिन रिसर्च एंड टैस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सैंटर (जी.सी.टी.सी.) में सोमवार को शुरू हुआ। गहन चयन प्रक्रिया के बाद वायुसेना के 4 पायलट अंतरिक्ष अभियान के लिए इसरो के पायलट बने हैं।

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भारत ने गगनयान मिशन के तहत 2022 तक अंतरिक्ष में प्रथम भारतीय को भेजने का लक्ष्य रखा है जिसके लिए प्रशिक्षित अंतरिक्ष यात्री का चयन इन्हीं 4 पायलटों में से किया जाएगा।  ग्लावकोस्मोस ने अपनी वैबसाइट पर जारी एक स्टेटमेंट में कहा कि गागरिन रिसर्च एंड टैस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सैंटर ने सोमवार को भारतीय प्रशिक्षुओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया। अंतरिक्ष यात्रा के लिए दिया जाने वाला प्रशिक्षण ग्लावकोस्मोस और इसरो के बीच हुए करार के तहत शुरू हो रहा। प्रशिक्षण का अधिकांश भाग जी.सी.टी.सी. में पूरा होगा। 

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ऐसी होगा पायलटों की ट्रेनिंग

  • 12 महीने के प्रशिक्षण कार्यक्रम में व्यापक स्तर पर बायोमैडीकल ट्रेनिंग के साथ रेगुलर फिजिकल एक्सरसाइज भी शामिल होगा। 
  • साथ ही ट्रेनिज को सोयुज अंतरिक्षयान की प्रणाली का भी अध्ययन करना होगा। उन्हें कम समय के लिए विशेष रूप से IL-76 विमान में भार रहित वातावरण में रहने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
  • अंतरिक्ष और शारीरिक प्रशिक्षण के अलावा उन्‍नत इंज‍िन‍ियर‍िंग की भी पढ़ाई कराई जा रही है।
  • पूरा प्रशिक्षण कार्यक्रम रूसी भाषा में है, इसलिए अंग्रेजी बोलने वाले भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को रूसी भाषा सीखनी पड़ रही है। सोयूज अंतरिक्ष यान के अंदर सभी दस्‍तावेज और निर्देश रूसी भाषा में हैं। 
  • प्रशिक्षण के दौरान भारतीय यात्रियों को जिंदा रहने के तरीके सीखाए जा रहे हैं। इसके तहत उन्‍हें बताया जा रहा है कि जब अंतरिक्ष से लौटने लगें तो कुछ गड़बड़ी होने पर क्‍या करें। 
  • फिलहाल भारतीय यात्री मास्‍को में जंगल और दलदल के बीच अपना समय बिता रहे हैं जहां कई खुंखार जंगली जानवर भी हैं। पहले उन्‍हें क्‍लास रूम में ट्रेनिंग दी जा रही है और उसके बाद उन्‍हें दो दलों में 3 दिन और 2 रातों के लिए जिंदा रहने की वास्‍तविक ट्रेनिंग दी जाएगी। हालांकि इस दौरान डॉक्‍टरों की टीम उनकी निगरानी करेगी।
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  • भारतीय यात्रियों को मास्‍को की जमा देने वाली ठंड और बर्फ से भरे जंगल के बीच खुद को बचाए रखना बहुत चुनौतिपूर्ण साबित हो रहा है। इस प्रशिक्षण के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को एक हफ्ते की छुट्टी दी जाएगी ताकि वे ठीक हो सकें।
  • बर्फीले जंगल से निकलने के बाद भारतीय यात्री पहाड़ी दर्रो और यहां तक कि समुद्र के अंदर रहेंगे। इन यात्रियों को गर्मी के मौसम में सोची ले जाएगा जहां वे समुद्र में रहेंगे। 
  • इतना ही नहीं अतंरिक्ष यात्रियों को रूसी खाना ही दिया जा रहा है। भारतीय यात्रियों के इस संकट का समाधान न‍िकालने के लिए ट्रेनिंग सेंटर के कुक अपने अतिथियों की पसंद के हिसाब से खाना बना रहे हैं। यहां तक कि शाकाहारी खाना भी दिया जा रहा है। भारतीय यात्रियों की धार्मिक भावनाओं को देखते हुए खाने के आइटम से बीफ को हटा लिया गया है।

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बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी गगनयान परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। इस मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान के लिए 2022 के शुरुआती महीने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। भारत रूस की मदद से इस मिशन को पूरा करने पर काम कर रहा है। केंद्र सरकार ने महत्वाकांक्षी गगनयान प्रोजेक्ट के लिए 10,000 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की है। इस मिशन के तहत तीन सदस्यीय क्रू कम से कम 7 दिन के लिए अंतरिक्ष की यात्रा पर जाएगा। अंतरिक्ष पर मानव मिशन भेजने वाला भारत दुनिया का चौथा देश होगा।
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Seema Sharma

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