नवाब मलिक के इस्तीफे को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा सत्र में जमकर हंगामा, पूरे दिन के लिए कार्यवाही हुई स्थगित

punjabkesari.in Friday, Mar 04, 2022 - 06:22 PM (IST)

नेशनल डेस्कः महाराष्ट्र विधानसभा में शुक्रवार को भाजपा सदस्यों और राज्य में सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के नेताओं द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करने के बाद सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य के मंत्री नवाब मलिक से इस्तीफा मांगने से एमवीए सरकार द्वारा इनकार करने को लेकर उस पर निशाना साधा।

भाजपा ने साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए राजनीतिक आरक्षण पर एक आयोग की अंतरिम रिपोर्ट को उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज करने के लिए भी राज्य की सरकार को जिम्मेदार ठहराया। भाजपा सदस्यों और राज्य में सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के नेताओं द्वारा दोनों मुद्दों पर एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करने के बाद सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित होने से पहले, विधानसभा की कार्यवाही दो बार स्थगित हुई।

महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों में ओबीसी को आरक्षण देने के मामले में उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा था कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट में की गई सिफारिश के आधार पर कार्रवाई करने के लिए किसी भी प्राधिकार को अनुमति देना ‘‘संभव नहीं'' है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस शर्त के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जा सकता है कि कुल कोटा 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक नहीं होगा। शुक्रवार को जैसे ही निचले सदन की बैठक शुरू हुई, विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने स्थगन नोटिस के माध्यम से ओबीसी आरक्षण का मुद्दा उठाया।

पूर्व मुख्यमंत्री ने मांग की कि इस मुद्दे को चर्चा के लिए लिया जाए और बाकी कामकाज को दरकिनार कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि जब तक ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण बहाल नहीं हो जाता, तब तक राज्य में स्थानीय निकायों का चुनाव नहीं होना चाहिए। फडणवीस ने आयोग की उस अंतरिम रिपोर्ट को ‘मजाक' करार दिया, जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘रिपोर्ट में इसकी कोई तारीख नहीं है कि डेटा कब एकत्र किया गया और इसमें कोई हस्ताक्षर नहीं है।

राज्य के वकील यह बताने में विफल रहे कि किस आधार पर 27 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की गई है।'' उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में राज्य के दो तिहाई स्थानीय निकायों में मतदान होना है और अगर बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव हुए तो समुदाय को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा। फडणवीस ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय में जो हुआ वह महाराष्ट्र के लिए शर्मनाक था।'' उन्होंने मांग की कि राज्य एक कानून बनाए, जो उसे स्थानीय निकाय चुनावों की तारीखें तय करने की अनुमति दे। महाराष्ट्र के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री एवं वरिष्ठ ओबीसी नेता छगन भुजबल ने स्वीकार किया कि रिपोर्ट में कुछ तकनीकी गलतियां हो सकती हैं, क्योंकि इसे जल्दबाजी में संकलित किया गया था।

उन्होंने कहा कि 2010 में, शीर्ष अदालत ने ओबीसी के राजनीतिक पिछड़ेपन की जानकारी के बारे में अनुभवजन्य आंकड़ों को संकलित करने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने 2016 में जमा किए गए आंकडों को एकत्रित करने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने राज्य के साथ आंकड़े साझा नहीं किए।


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Content Writer

Yaspal

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