प्राधिकारियों ने श्रीनगर में शहीदों का कब्रिस्तान सील किया, सुरक्षा बलों को किया तैनात
punjabkesari.in Tuesday, Jul 13, 2021 - 10:46 PM (IST)
श्रीनगर : प्राधिकारियों ने 13 जुलाई, 1931 को डोगरा बलों की कार्रवाई में शहीद हुए 22 लोगों की याद में लोगों को एकत्र होने से रोकने के लिए यहां पुराने शहर इलाके में शहीदों के कब्रिस्तान को सील कर दिया है। अधिकारियों ने बताया कि नौहट्टा के पास ख्वाजा बाजार में नक्शबंद साहिब तीर्थ के अंदर स्थित कब्रिस्तान का प्रवेश द्वार सील कर दिया गया है और इलाके के चारों ओर सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है, ताकि कोई भी इसमें प्रवेश न कर सके।
नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) और पीडीपी (जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) ने 1931 के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए कब्रिस्तान जाने की अनुमति के लिए श्रीनगर के जिलाधिकारी के पास आवेदन किया था, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई।
एनसी ने सोमवार को प्रशासन पर आरोप लगाया था कि वह पार्टी नेताओं को 13 जुलाई, 1931 के शहीदों को श्रद्धांजलि देने की अनुमति नहीं देने के लिए टाल-मटोल की रणनीति का इस्तेमाल कर रहा है। पार्टी ने कहा कि उसने शहर के ख्वाजा बाजार इलाके में मजार-ए-शोहदा (शहीदों के कब्रिस्तान) में 'फतेहा' (विशेष प्रार्थना) और पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए प्रशासन से अनुमति मांगी थी। एनसी के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने सोमवार को एक बयान में कहा, च्च्प्रशासन ने बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद आज शाम तक कोई जवाब नहीं दिया है।
We pay our humble tributes to the Martyrs of July 13, 1931. The heroes who laid their lives inspired millions to live with DIGNITY. Their sacrifices will always be remembered.
— JKNC (@JKNC_) July 13, 2021
We observe this day to reiterate our commitment to fight evil with kindness. Salute & Respect.
पीडीपी ने भी कहा कि पार्टी ने श्रीनगर जिला प्रशासन से अनुमति मांगी थी, लेकिन अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया।
एनसी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर पार्टी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा,"13 जुलाई, 1931 जम्मू-कश्मीर की पहचान और उसके लोगों के अधिकारों का प्रतीक है। तेरह जुलाई को शहीद हुए लोग हमारे और आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रकाश की किरण बने रहेंगे।"
Today on the occasion of Martyr’s day, gates leading to their graveyards have been locked up. Attempts to distort & rewrite Kashmir’s history is being done only to create a sense of defeat & helplessness amongst Kashmiris.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) July 13, 2021
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी ट्वीट किया,"शहीद दिवस के अवसर पर कब्रिस्तान की ओर जाने वाले द्वारों को बंद कर दिया गया है। कश्मीर के इतिहास को विकृत करने और फिर से लिखने का प्रयास कश्मीरियों में केवल हार और बेबसी की भावना पैदा करने के लिए किया जा रहा है।"
इस बीच, हुर्रियत कांफ्रेंस के उदारवादी धड़े द्वारा आहूत हड़ताल के कारण कश्मीर के कुछ हिस्सों में जनजीवन प्रभावित हुआ। बंद के कारण लाल चौक, आसपास के क्षेत्रों और पुराने शहर में दुकानें और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे।
इससे पहले, पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य में 13 जुलाई को सरकारी अवकाश होता था और हर साल इस दिन एक भव्य आधिकारिक समारोह आयोजित किया जाता था, जिसमें मुख्यमंत्री या राज्यपाल मुख्य अतिथि होते थे। अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद 2020 में यह छुट्टी रद्द कर दी गई थी और सभी आधिकारिक समारोह बंद कर दिए गए थे।