ऑफ द रिकॉर्डः सांसद मनसुख वसावा के धमाके से खुल जानी चाहिए ‘भाजपा की नींद’

punjabkesari.in Tuesday, Jan 12, 2021 - 06:05 AM (IST)

नई दिल्लीः गुजरात से सांसद ने भाजपा और लोकसभा की सीट छोड़कर विरोध का पहला गोला दागा था। वह मोदी सरकार में मंत्री थे। उन्हें पद से हटा दिया गया था लेकिन बाद में उन्हें लोकसभा की टिकट दी गई और उन्होंने सीट जीत ली। बात हो रही है मनसुख वसावा की। 6 बार के सांसद वसावा ने यद्यपि भाजपा के शीर्ष नेताओं के कहने पर अपना त्यागपत्र वापस ले लिया परंतु इससे भाजपा के परिवार में खींचतान उजागर हो गई है। ऐसी बातें अक्सर सामने नहीं आती हैं क्योंकि भाजपा अपने मामले संभालने में बड़ी माहिर है। 

वसावा की नाराजगी केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं मौसम परिवर्तन मंत्रालय की उस विवादास्पद अधिसूचना के खिलाफ थी जिसमें गुजरात के नर्मदा जिले के 121 गांवों को ‘पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र’ घोषित किया गया है। वसावा का कहना है कि इसे लेकर जनजातीय समुदायों में भारी रोष है। वसावा ने यह मुद्दा प्रधानमंत्री कार्यालय तक उठाया था। केंद्रीय मंत्रालय ने जब 5 मई 2016 को सरदार वल्लभभाई पटेल के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के आसपास के 121 गांवों के साथ-साथ शूलपानेश्वर अभयारण्य के इलाके को ‘पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र’ घोषित किया था, तब वसावा ने स्थानीय स्तर पर होने वाले इसके विरोध को अपना समर्थन दिया था। 

अब चूंकि यह मामला मोदी के गृह राज्य में चल रहा था तो किसी मंत्री या नेता की इसमें हाथ डालने की जुर्रत नहीं हुई। दूसरे वसावा सीधे प्रधानमंत्री को पत्र लिख रहे थे और उसकी प्रतियां अन्य मंत्रालयों को भेज रहे थे। अंतत: वसावा ने लोकसभा सीट छोड़कर धमाका कर दिया। खूब हंगामा मचा लेकिन उन्होंने 36 घंटे के भीतर ही अपने कदम पीछे खींच लिए। भाजपा को इस घटना के बाद जाग जाना चाहिए क्योंकि सरकार को लेकर बहुत-सी ऐसी ही शिकायतें हैं कि कोई भी काम प्रधानमंत्री कार्यालय की अनुमति के बिना नहीं होता। 

उदाहरण के लिए, भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी इसी बात को लेकर कई बार सरकार पर हमला बोल चुके हैं। हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री को इसलिए आड़े हाथों लिया था क्योंकि उन्होंने उन डा. विजय राघवन को प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त कर दिया है जो सरकार की अनुमति के बिना चीनियों को चमगादड़ों पर प्रयोग करने के लिए नागालैंड ले आए थे। जल्द ही पार्टी के सभी लोगों को यह संदेश मिल गया कि वे स्वामी के किसी भी बयान पर अपना मुंह न खोलें।   


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Pardeep

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