मणिपुर संकटः एनपीपी से सुलह की कोशिशें तेज, केंद्रीय नेतृत्व से मिले हेमंत सरमा

punjabkesari.in Monday, Jun 22, 2020 - 08:40 PM (IST)

इंफालः मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा और असम के मंत्री हिमंत विश्व सरमा ने मणिपुर में सत्तारूढ़ गठबंधन के नौ सदस्यों के इस्तीफे से उत्पन्न राजनीतिक गतिरोध का रास्ता निकालने के लिए भाजपा और एनपीपी के विधायकों के साथ जो चर्चा की थी उसके बारे में राजग के केंद्रीय नेतृत्व को अवगत करा दिया गया है। यह जानकारी दोनों पार्टियों के सूत्रों ने सोमवार को दी। क्षेत्रीय दल नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष संगमा और भाजपा के संकटमोचक सरमा ने रविवार को मणिपुर के अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान दोनों दलों के विधायकों के साथ मुलाकात की थी। मणिपुर में भाजपा नीत गठबंधन को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस ने एक नया गठबंधन बनाया है।असम के मंत्री सरमा नार्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के संयोजक भी हैं। दोनों मणिपुर की राजधानी से रविवार देर रात में लौटे। कोनराड संगमा ने इंफाल से रवाना होने से पहले कहा कि मणिपुर मुद्दे को राजग के केंद्रीय नेतृत्व के संज्ञान में लाया गया है।

दोनों वरिष्ठ नेता भाजपा विधायकों के साथ-साथ भाजपा की क्षेत्रीय सहयोगी एनपीपी के विधायकों से बातचीत के वास्ते यहां हवाई मार्ग से आये थे ताकि दोनों दलों के बीच मतभेदों को दूर किया जा सके। एनपीपी भी सत्ताधारी भाजपा नीत राजग का हिस्सा है। एन बिरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार उस समय संकट में आ गई जब भाजपा नीत गठबंधन के नौ सदस्यों ने गत बुधवार को इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने वालों में एनपीपी के चार मंत्री भी शामिल थे। संगमा मेघालय में सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं और वह राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन में हैं। भाजपा के दो विधायकों ने भी राज्यसभा चुनाव में उनकी पार्टी के उम्मीदवार की जीत में योगदान किया था।

विपक्षी दल कांग्रेस ने सवाल किया है कि संगमा और सरमा को कोविड-19 नियमों के तहत उस तरह से पृथक क्यों नहीं किया गया जैसे उसके दो पर्यवेक्षकों अजय माकन और गौरव गोगोई को तब पृथक किया गया था जब वे गत शुक्रवार को इंफाल पहुंचे थे। मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष एम ओकेंद्र ने इस मुद्दे को एक दिन पहले उठाया था और इसे ‘‘अत्यंत निंदनीय'' बताया था। असम कांग्रेस प्रवक्ता ए कुमार भट्टाचार्या ने पूछा, ‘‘माकन और गोगोई को मणिपुर सरकार ने पृथक किया था। क्या नियम कांग्रेस के लोगों के लिए ही हैं? आपका क्या यह राजनीतिक बदला है? क्या कानून सभी के लिए बराबर नहीं है?'' इस पर सरमा ने रविवार को कहा था कि कोविड-19 से संबंधित किसी भी दिशानिर्देश का उनके द्वारा उल्लंघन नहीं किया गया।

सरमा ने कहा, ‘‘दिन भर की यात्रा पर आने वाले किसी भी व्यक्ति को असम और मणिपुर में दोनों ही जगह पृथक किये जाने से छूट है।'' एनपीपी मंत्रियों के अलावा इस्तीफा देने वाले पांच अन्य में भाजपा के तीन बागी विधायक, तृणमूल कांग्रेस का एकमात्र विधायक और एक निर्दलीय विधायक शामिल है। राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार एल संजाओबा की जीत के बाद पार्टी ने दावा किया कि वह मणिपुर में नियंत्रण वाली स्थिति में है।

हालांकि 2017 विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के पाले में आने वाले कांग्रेस के सात विधायकों के खिलाफ अयोग्यता मामलों पर अंतिम फैसले के बिना उसके द्वारा 60 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान स्थिति में बहुमत साबित करना मुश्किल कार्य होगा जब उसके नौ विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस विधायकों का मामला दलबदल विरोधी कानून के तहत मणिपुर उच्च न्यायालय के साथ-साथ स्पीकर ट्रिब्यूनल में भी लंबित है। नवगठित कांग्रेस नीत सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट (एसपीएफ) ने दावा किया है कि सरकार बहुमत खो चुकी है और विश्वास मत होना चाहिए।


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Yaspal

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