PM मोदी से बैठक के बाद सिंधिया का इस्तीफा, शाम 6 बजे BJP में होंगे शामिल

punjabkesari.in Tuesday, Mar 10, 2020 - 02:56 PM (IST)

नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की आज दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस से त्यागपत्र की औपचारिक घोषणा के चलते मध्यप्रदेश में उनके समर्थक 14 से अधिक मंत्रियों और विधायकों ने भी त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष को ईमेल के जरिए भेज दिए हैं। इसी के साथ चौदह माह पुरानी कांग्रेस सरकार का अब संकट से निकलना मुश्किल नजर आ रहा है। वहीं सूत्रों की मानें तो सिंधिया शाम 6 बजे भाजपा में शामिल होने वाले हैं।

सिंधिया के खास समर्थक माने जाने वाले प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने भी ट्वीट में लिखा है,‘जहां सिंधिया जी वहां मैं। मैंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से कांग्रेस हटा लिया है।' इसके अलावा ग्वालियर चंबल अंचल और प्रदेश में विभिन्न स्थानों से सिंधिया के समर्थक पदाधिकारियों के भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को त्यागपत्र भेजे जाने की सूचनाएं हैं। अब सभी की निगाहें शाम को पांच बजे यहां मुख्यमंत्री निवास पर होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक पर लगी हुई हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक में मुख्यमंत्री कमलनाथ बड़ा निर्णय ले सकते हैं। सूचना है कि इस संबंध में वे अपने विश्वस्त साथियों के साथ सलाह मशविरा कर रहे हैं। वहीं इसके बाद शाम सात बजे प्रदेश भाजपा कार्यालय में भाजपा विधायक दल की भी महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि इसमें मौजूदा राजनैतिक घटनाक्रम के मद्देनजर अगली रणनीति तय की जाएगी।

 

क्या कहता है गणित?

  • बताया गया है कि कुल सिंधिया के समर्थक 19 मंत्रियों और विधायकों ने त्यागपत्र भेजा है, जो वर्तमान में बंगलूर में हैं।
  • राज्य विधानसभा में वर्तमान में 228 विधायकों में से कांग्रेस के 114, भाजपा के 107, बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं। आगर और जौरा विधानसभा सीट रिक्त हैं।
  • 19 विधायकों के त्यागपत्र स्वीकृत होने की स्थिति में कांग्रेस विधायकों की संख्या घटकर 95 पर आ जाएगी और इस तरह सरकार का संकट से निकलना मुश्किल हो जाएगा।

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कांग्रेस ने की आखिरी समय तक सिंधिया को मनाने की कोशिश
राज्य में कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं और उसे चार निर्दलीय, बसपा के दो और समाजवादी पार्टी के एक विधायक का समर्थन हासिल है। भाजपा के 107 विधायक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद सिंधिया ने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने जो त्यागपत्र साझा किया है उस पर नौ मार्च की तिथि है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे त्यागपत्र में सिंधिया ने कहा, ''अपने राज्य और देश के लोगों की सेवा करना मेरा हमेशा से मकसद रहा है। मैं इस पार्टी में रहकर अब यह करने में अक्षम में हूं।'' उधर, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक बयान में कहा, ''कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण सिंधिया को तत्काल प्रभाव से निष्कासित करने को स्वीकृति प्रदान की।" सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने आखिरी समय तक सिंधिया को मनाने का प्रयास किया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। सियासी संकट के बीच कमलनाथ सरकार के मंत्रियों ने सोमवार रात इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मंत्रिमंडल के नए सिरे से गठन किया जाएगा। सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों के फोन सोमवार को बंद हो गए थे।

 


 

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भाजपा ने बुलाई आज ही भोपाल में पार्टी विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक
भाजपा ने आज ही भोपाल में पार्टी विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। सूत्रों ने बताया कि यह बैठक मंगलवार शाम छह बजे आहूत की गई है और भाजपा ने अपने सभी 107 विधायकों को इसमें शामिल होने के लिए कहा है। इससे पहले सोमवार रात को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गृह मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह से मुलाकात की थी। सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच यह बैठक करीब दो घंटे चली। समझा जाता है कि इस बैठक में मध्य प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा हुई। इससे पहले शिवराज सिंह ने पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा से भी मुलाकात की। शिवराज आज सुबह भोपाल पहुंच गए हैं। 

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भाजपा का एक बड़ा तबका सिंधिया को पार्टी में लाने पर अपनी मुहर लगा चुका है
सिंधिया की दादी राजमाता विजया राजे सिंधिया पहले जनसंघ में रहीं और बाद में वे भाजपा से सांसद रहीं। सिंधिया की एक बुआ यशोधरा राजे सिंधिया मध्य प्रदेश भाजपा में हैं तो दूसरी बुआ वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान भाजपा में, जो मुख्यमंत्री भी रहीं। सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया भी कांग्रेस में आने से पहले जनसंघ में रहे। इस लिहाज से उनका बैकग्राउंड भाजपा का रहा है। इसलिए जानकार कह रहे हैं कि अगर सिंधिया भाजपा में जाते हैं तो अचंभित नहीं होना चाहिए।  कहा तो यहां तक जा रहा है कि राज्य भाजपा का एक बड़ा तबका सिंधिया को पार्टी में लाने पर अपनी मुहर लगा चुका है। वैसे यह सब सियासी कवायद ही कही जा रही है। ना भाजपा की ओर से और ना ही सिंधिया की ओर से अब तक इस बारे में कुछ खुलासा किया गया है।सिंधिया की नाराजगी को कांग्रेस का एक तबका उचित नहीं मानता। एक नेता का कहना है कि कांग्रेस ने सिंधिया को कई बार सांसद बनाया। केंद्र में मंत्री बनाया। वे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी रहे। कमलनाथ को पीसीसी चीफ बनाया गया तो राहुल ने 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्हें चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख बनाया। सिंधिया को राहुल ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव का भी दायित्व दिया था। लेकिन लोकसभा चुनाव में हुई हार के बाद राहुल गांधी ने इस्तीफा दिया तो सिंधिया ने भी पद छोड़ दिया। लोकसभा चुनाव हारने के बाद से सिंधिया राज्य की सियासत में एक छोर पर हैं तो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दूसरे छोर पर। 

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Edited By

Anil dev

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