लोकतंत्र में नहीं, आज संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों में विश्वास की कमी: कांग्रेस का धनखड़ को पत्र

punjabkesari.in Friday, Dec 23, 2022 - 08:59 PM (IST)

 

नेशनल डेस्क: कांग्रेस ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा सोनिया गांधी की न्यायपालिका से जुड़ी एक टिप्पणी को अनुचित करार दिए जाने के बाद शुक्रवार को धनखड़ को पत्र लिखकर कहा कि आज लोकतंत्र में नहीं, बल्कि उच्च संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों में विश्वास की कमी है। पार्टी महासचिव और राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने उपराष्ट्रपति धनखड़ को लिखे पत्र में यह आरोप भी लगाया कि मौजूदा सरकार ने न्यायपालिका के कामकाज में दखल देने और न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया को बदलने का प्रयास किया है।

अध्यक्ष का बयान पूरी तरह अनुचित
उल्लेखनीय है कि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को न्यायपालिका और सरकार के संबंध में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के बयान को पूरी तरह से ‘‘अनुचित'' बताते हुए राजनीतिक दलों के नेताओं से आग्रह किया था कि वे उच्च संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों पर पक्षपात करने का आरोप नहीं लगाएं। धनखड़ ने कहा था कि संप्रग अध्यक्ष का बयान उनके विचारों से पूरी तरह से भिन्न है और न्यायपालिका को कमतर करना उनकी सोच से परे है। राज्यसभा के सभापति ने कहा था कि संप्रग अध्यक्ष का बयान पूरी तरह अनुचित है और लोकतंत्र में उनके विश्वास की कमी का संकेत देता है।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘मैं आपके (धनखड़) द्वारा कल दिए गए उस असाधारण बयान पर अपनी टिप्पणी देने को विवश हुआ हूं, जो कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख की ओर से अपने सांसदों की बैठक में की गई बात से संबंधित थी।'' रमेश ने यह भी कहा, ‘‘सभापति महोदय, आपने इस बात पर जोर दिया है कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को पूरी निष्ठा के साथ आपने दायरे में रहना चाहिए। इस सरकार से पहले किसी भी सरकार और कॉलेजियम व्यवस्था आने के बाद से किसी सरकार ने न्यायपालिका के कामकाज में इस तरह से दखल नहीं दिया।'' उन्होंने सवाल किया, ‘‘यह सच्चाई नहीं है कि इस सरकार ने कॉलेजियम की न्यायिक नियुक्ति से संबंधित कई अनुशंसाओं को स्वीकृति देने में विलंब किया और यह जानते हुए विलंब किया कि देरी का मतलब इनकार है?'' 

कांग्रेस ने कई सवालों का मांगा जवाब
कांग्रेस नेता ने यह भी पूछा, ‘‘क्या सत्य नहीं है कि इस सरकार ने उन न्यायाधीशों के तबादले को लेकर बहुत तेजी से कदम उठाए जिनके फैसलों को उसने अपने खिलाफ माना? क्या यह सत्य नहीं है कि सरकार ने कई न्यायाधिकरणों में नियुक्तियों से संबंधित योग्यता और प्रक्रिया को बदलने का प्रयास किया?'' जयराम रमेश ने कहा, ‘‘सभापति महोदय, कृपया इस बहस को संसदीय संप्रभुता के लिए चिंता से जोड़कर प्रस्तुत मत करिये। संसदीय संप्रभुता इस तरह सुनिश्चित होती है कि संसद को चलने दिया जाए, विपक्ष को अवसर दिया जाए, प्रधानमंत्री अपनी सरकार को लेकर पूछे गए सवालों का सम्मान करें और उनका जवाब दें।''

उन्होंने कहा, ‘‘संसदीय संप्रभुता तब सुनिश्चित होती है जब विधेयकों पर मतदान से बचने के लिए उन्हें धन विधेयक के तौर पर नहीं पारित कराया जाए तथा विधेयकों को तय प्रोटोकॉल के तहत स्थायी समिति और प्रवर समिति के पास भेजा जाए।'' कांग्रेस महासचिव ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘हमारा मानना है कि संविधान सर्वोच्च है और सभी संस्थाओं को संविधान का पालन और सम्मान करना चाहिए। सभापति जी, हमारा बयान हमारे लोकतंत्र में विश्वास की कमी को नहीं दर्शाता है जैसा आपने कहा है, बल्कि यह आज के उन पुरुषों और महिलाओं में विश्वास की कमी को दर्शाता है, जो प्रतिष्ठित पदों पर बैठकर इसके पैरोकार बन रहे हैं।'' 

 


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Content Editor

rajesh kumar

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