कुलभूषण जाधवः भारत का लाल और पाकिस्तानी जाल

punjabkesari.in Thursday, Jul 18, 2019 - 10:57 AM (IST)

नेशनल डेस्कः कुलभूषण जाधव की कहानी एक ऐसे होनहार स्वप्नदृष्टा के दुर्भाग्य की कहानी है, जिसके जीवन को एक देश ने सिर्फ इसलिए बर्बाद कर दिया, क्योंकि वह भारत का नागरिक है। एक ऐसा नागरिक जिसने एक अच्छी नौकरी छोड़कर ईरान में अपना व्यवसाय शुरू किया। अलकायदा से जुड़े एक आतंकवादी संगठन ने उसका अपहरण किया और उसे पाकिस्तान को बेच दिया। पाकिस्तान ने भारत से दुश्मनी के चलते उसे रॉ का जासूस बताकर दुनिया के सामने पेश किया और झूठी कहानियां तथा दस्तावेज गढ़कर फांसी की सजा सुना दी। मगर झूठ का पर्दाफाश एक दिन अवश्य होता है। हेग की अंतर्राष्ट्रीय अदालत में भी पाकिस्तान का पर्दाफाश हो गया है।
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परिचय
कुलभूषण जाधव का जन्म 16 अप्रैल 1970 को महाराष्ट्र के सांगली में हुआ। उनके पिता सुधीर जाधव मुंबई पुलिस में अधिकारी थे। कुलभूषण जाधव का चयन भारतीय नौसेना में हुआ मगर उन्होंने समयपूर्व सेवानिवृत्ति लेकर ईरान में कार्गो का अपना व्यवसाय शुरू किया।

बंदर अब्बास: कार्गो व्यवसाय था जाधव का भारतीय अधिकारियों के अनुसार जाधव का ईरान में कार्गो बिजनैस था और वह बंदर अब्बास तथा चाबहार बंदरगाह तक व्यवसाय कर रहे थे। यह संभव है कि वह पाकिस्तान के जल क्षेत्र से गुजरते हों।

सारबाज: यहां से हुआ था अपहरण कुलदीप जाधव का अपहरण 2016 में ईरान के शहर सारबाज से आतंकवादी संगठन जैश-उल-अदी के सरगना मुल्ला उमर ईरानी ने कराया था। ईरान ने जाधव को बाद में पाकिस्तानी सेना को सौंप दिया।
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ईरान से पाकिस्तान ऐसे पहुंचाया
जाधव व्यवसाय के सिलसिले में पाक सीमा से लगे शहर सारबाज गए थे, जहां से उन्हें अलकायदा से जुड़े सुन्नी आतंकी संगठन जैश-उल-अदी ने अगवा किया और कीमत ले कर पाकिस्तान को सौंप दिया। आई.एस.आई. ने उनके फर्जी कागजात तैयार किए। दुनिया के सामने उन्हें रॉ का जासूस बताने की कोशिश की।

यह है पाकिस्तान का दावा
पाकिस्तानी एजैंसियों का कहना है कि जाधव भारतीय नेवी की इंजीनियरिंग ब्रांच के एक कमांडर हैं, जो रॉ के लिए जासूसी करते हैं। उन्हें ईरान के शहर चाबहार में एक छोटा-सा बिजनैस खुलवाया गया। महाराष्ट्र के हुसैन मुबारक पटेल नाम से उन्हें पासपोर्ट दिया गया। उन्होंने बलूचिस्तान और कराची की कई यात्राएं कीं। हाजी बलोच जैसे पाकिस्तान विरोधी नेताओं से संपर्क बनाया। जाधव की गिरफ्तारी के बाद उसकी सूचना पर पाकिस्तान में सौ से ज्यादा अंडरकवर एजैंट को पकड़ा गया।
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यह है सच
भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार जाधव पूर्व नेवी अधिकारी थे। उन्होंने समय पूर्व सेवानिवृत्ति ली थी और उसके बाद सरकार से उनका कोई संपर्क नहीं था। वह 2003 से अपने पासपोर्ट पर ही सफर कर रहे हैं तो ऐसे में फर्जी नाम से पासपोर्ट का सवाल ही नहीं उठता।

टाइमलाइन

  • 2016 में भारतीय नेवी के अधिकारी रहे कुलभूषण जाधव का आतंकी संगठन ने ईरान से अपहरण किया।
  • 3 मार्च 2016 को पाकिस्तान ने जाधव की गिरफ्तारी बलूचिस्तान से दिखाई और उन्हें रॉ का जासूस बताया।
  • 10 अप्रैल 2017 को जाधव को फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल ने मौत की सजा सुनाई।
  • 18 मई 2017 को अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगाई।
  •  17 जुलाई 2019 को अंतर्राष्ट्रीय अदालत ने पाकिस्तान से सजा पर पुनर्विचार करने को कहा।

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ऐसे खुली पाक की पोल
बलूचिस्तान के मंत्री सरफराज बुगती ने जाधव की कथित गिरफ्तारी के संबंध में दावा किया था कि कुलभूषण को अफगानिस्तान की सीमा पर चमन से पकड़ा गया था, जबकि पाकिस्तानी सेना की ओर से जनरल बाजवा ने दावा किया था कि जाधव को सारवान से पकड़ा गया।

नहीं पेश कर पाया सबूत
हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय अदालत में मामला जाने पर पाकिस्तान ने 29 मई 2017 को दावा किया था कि उसके पास जाधव के विध्वसंक गतिविधियों में लिप्त होने के सबूत हैं। मगर वह ऐसे सबूत सामने नहीं ला सका।

एकतरफा कार्रवाई
पाकिस्तान ने एकतरफा कार्रवाई कर जाधव को फांसी की सजा सुनाई। इस दौरान करीब 20 बार भारत की ओर से कुलभूषण से मिलने की इजाजत मांगी गई, जिसे पाकिस्तान ने अनसुना किया। भारतीय दूतावास की ओर से वकील मुहैया कराने को भी नामंजूर कर दिया गया।
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20 साल में दूसरी बार इंटरनैशनल कोर्ट में हारा पाक
10 अगस्त 1999 को वायुसेना ने गुजरात के कच्छ में घुसे पाकिस्तान नेवी के एयरक्राफ्ट को मार गिराया था। इसमें सवार सभी 16 सैनिक मारे गए थे। पाकिस्तान ने इस मामले में भारत से 6 करोड़ डॉलर मुआवजा मांगा था। अंतर्राष्ट्रीय अदालत की 16 जजों की बैंच ने 21 जून 2000 को 14-2 से पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया था। इसके बाद यह दूसरा मौका है, जब पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय अदालत में हार हुई है और कोर्ट ने उससे जाधव की फांसी की सजा पर पुनर्विचार करने को कहा है।


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Seema Sharma

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