राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद: दबे-कुचलों की बुलंद आवाज
punjabkesari.in Tuesday, Jun 20, 2017 - 12:24 PM (IST)
नई दिल्ली: दलित-शोषित समाज की आवाज बुलंद करके भारतीय जनता पार्टी :भाजपा: में उंचा मुकाम हासिल करने वाले रामनाथ कोविंद को भाजपा-नीत राजग ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर एक ‘मास्टर स्ट्रोक’ खेला है। एेसा इसलिए, क्योंकि ज्यादातर विपक्षी दल देश के सर्वाेच्च संवैधानिक पद पर किसी दलित को बैठाने का विरोध नहीं करना चाहेंगे। अपने लंबे राजनीतिक जीवन में शुरू से ही अनुसूचित जातियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों तथा महिलाओं की लड़ाई लडऩे वाले कोविंद इस वक्त बिहार के राज्यपाल हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ दिलचस्प बातें:
2 बार रहे राज्यसभा के सदस्य
बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के गांव परौंख के हैं वह 1994 से 2006 तक 2 बार यूपी से राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। पेशे से वकील कोविंद भाजपा दलित मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे हैंैं। वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव रहे।
कोविंद को राज्यपाल बनाने का नीतीश ने किया था विरोध
वर्ष 2007 में पार्टी ने उन्हें प्रदेश की राजनीति में सक्रिय करने के लिए भोगनीपुर सीट से चुनाव लड़ाया लेकिन वह यह चुनाव भी हार गए। कोविंद वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी के साथ महामंत्री हैं। कोविंद को 8 अगस्त, 2015 को बिहार का नया राज्यपाल बनाया गया था जिसका मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विरोध किया था।
IAS परीक्षा में तीसरे प्रयास में मिली थी सफलता
रामनाथ कोविद की प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर ब्लाक के ग्राम खानपुर प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय में हुई। कानपुर नगर के बीएनएसडी इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद डीएवी कालेज से बी कॉॅम व डीएवी लॉ कालेज से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद दिल्ली में रहकर आईएएस की परीक्षा तीसरे प्रयास में पास की लेकिन मुख्य सेवा के बजाय एलायड सेवा में चयन होने पर नौकरी ठुकरा दी। उन्होंने जनता पार्टी की सरकार में सुप्रीम कोर्ट के जूनियर काउंसलर के पद पर कार्य किया।