विदेश मंत्रालय ने खालिस्तान को जारी किया चेतावनी पत्र ! वायरल होने पर MEA ने दिया जवाब
punjabkesari.in Tuesday, Dec 14, 2021 - 03:41 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा दुनिया भर में भारत विरोधी गतिविधियों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इस बीच खालिस्तान के खिलाफ विदेश मंत्रालय का एक पत्र खूब सुर्खियां बटोर रहा है। इस पत्र में खालिस्तान को दी गई चेतावनी को लेकर विदेश मंत्रालय (MEA) ने जवाब देते हुए कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा किया जा रहायह पत्र नकली है। इस मामले से परिचितअधिकारियों का कहना है कि कथित तौर पर 8 नवंबर को जारी किया गया और कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा किया जा रहा पत्र MEA द्वारा कभी जारी नहीं किया गया था।
MEA के इस कथित पत्र में सिख चरमपंथियों द्वारा उत्पन्न खतरे का मुकाबला करने के उपायों के बारे में बात की गई थी। सुरक्षा एजेंसियों को इस पत्र को तैयार करने में पाकिस्तानी की संलिप्तता का संदेह है क्योंकि पाकिस्तान खालिस्तान समर्थक तत्वों के माध्यम से किसानों के आंदोलन के दौरान भी ऐसी ही कुछ हरकते करने में लगा था। पिछले महीने, रिपोर्टों में कहा गया था कि एक खुफिया इनपुट के बाद एक अलर्ट जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) संसद भवन का घेराव कर सकता है और उस पर खालिस्तान का झंडा फहरा सकता है। खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली पुलिस सहित अधिकारियों को सतर्क रहने और संसद के आसपास व्यापक सुरक्षा व्यवस्था करने को कहा है।
पिछले महीने मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि एक खुफिया इनपुट आया है कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिख फॉर जस्टिस संसद भवन का घेराव कर सकता है और उस पर खालिस्तान का झंडा फहरा सकता है। इसके बाद इस बाबत एक अलर्ट जारी किया गया। खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली पुलिस सहित अधिकारियों को सतर्क रहने और संसद के आसपास व्यापक सुरक्षा व्यवस्था करने को कहा है। दरअसल, सिख फॉर जस्टिस के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने यूट्यूब पर एक वीडियो जारी कर किसानों से संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इसका घेराव करने और खालिस्तान का झंडा फहराने की अपील की थी।
पन्नू ने वीडियो में कहा है कि संसद पर खालिस्तान का झंडा फहराने वाले को 1,25,000 डॉलर का इनाम दिया जाएगा। अक्टूबर में, ब्रिटेन स्थित सिख फॉर जस्टिस ने यह तय करने के लिए एक तथाकथित जनमत संग्रह का आयोजन किया कि क्या खालिस्तान को पंजाब से अलग किया जाना चाहिए।
उधर, लंदन स्थित राजनयिकों ने कहा कि तीन ज्ञात खालिस्तान आंदोलन समर्थक गुरुद्वारों को छोड़कर किसी भी गुरुद्वारे ने आयोजकों को प्लेटफॉर्म की अनुमति नहीं दी। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि जो लोग मतदान करने आए थे वे खालिस्तानियों के एक चुनिंदा समूह थे। इन लोगों का खालिस्तान मूवमेंट से कोई विशेष झुकाव नहीं था और उन्हें किसी न किसी बहाने मतदान केंद्रों पर ले जाया गया था।