कभी मिलिटेंट बनना चाहता था पत्थरबाज नौजवान, आज संवार रहा है कश्मीर के सैकड़ों युवाओं का भविष्य

punjabkesari.in Tuesday, Jan 25, 2022 - 12:26 PM (IST)

नेशनल डेस्क: एक कश्मीर का पत्थरबाज नौजवान जो सोचता था कि वह जिहाद करने के लिए पैदा हुआ था और उसे मिलिटेंट बनकर शहीद होना है, जिसका सपना सीरिया और अफगानिस्तान जैसे संघर्ष क्षेत्रों में काम करने का था आज वही नौजवान वजाहत फारूक भट कश्मीर के सैकड़ों जिहाद के नाम पर भटके हुए अपने साथियों को देश की मुख्य धारा से जोड़ने का काम कर रहा है। वजाहत “सेव यूथ, सेव फ्यूचर” नाम से एक एनजीओ चलाते हैं। वह कश्मीरी युवाओं और सरकार के बीच कम्यूनिकेशन गैप उसे दूर करने की कोशिश करते हैं, सेना और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ युवाओं की चर्चा करवाते हैं। वह अब तक पूरे कश्मीर में यूथ पार्लियामेंट, सांस्कृतिक प्रोग्राम, स्पोर्ट्स प्रोग्राम, नशामुक्ति कार्यक्रम, काउंसिलिंग और डिबेट सहित पूरे कश्मीर में 101 प्रोग्राम कर चुके हैं।

कश्मीर में ऐसे तैयार किए जा रहे थे युवा पत्थरबाज
वजाहत फारूक भट  कहते हैं कि 2014 में जब पहली बार मेरा पत्थर मेरे गांव के बाहर चुनावी ड्यूटी से लौट रहे सीआरपीएफ जवानों के कैस्पर (दंगा रोधी एक बख्तरबंद वाहन) की खिड़की पर गिरा, तो मैं तुरंत हीरो बन गया। कम से कम एक हफ्ते तक लोग मेरे पास आए और मैंने जो किया, उसके लिए मेरी पीठ थपथपाई। यह मेरी महिमा का क्षण था, मुझे अपने आप पर गर्व था और मैं खुद को एक हीरो के रूप में देखता था। वजाहत अपनी बीती जिंदगी के बारे में बताते हैं कि अगर किसी पत्थरबाज युवक या फिर मिलिटैंट की मौत हो जाती तो उसके जनाजे में लोगों को भारी तादाद में बुलाया जाता। सोशल मीडिया के जरिए कैंपेन चलाकर लोगों को कॉल दी जाती। मरने वाले युवक के मां-बाप को गन दिए जाते। जिसके बाद फायर करके एक शहीद को दी जाने वाली ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ का माहौल बनाया जाता। वहां पर ऐसा होता था कि देखो ये (मरने वाला) अपना हीरो है। इसको जन्नत मिल गई। कल अगर हम भी ऐसी मौत मरेंगे तो हम शहीद कहलाएंगे, हमें भी जन्नत मिलेगी। हमारे भी जनाजों में ऐसे ही लोग आएंगे। वजाहत ने कहा कि पत्थरबाजी में हमें मरना सिखाया जाता था।

एक घटना जिसने बदली दी वजाहत की जिंदगी
वजाहत ने बताया कि एक दिन एक घटना ने मेरी पत्थरबाजी के क्रम को बाधित कर दिया। एक शुक्रवार को हम अभी-अभी मस्जिद से निकले ही थे और दो गुटों में बंट गए थे। पथराव एक उचित रणनीति और योजना के तहत किया गया था कि एक समूह को दूसरे समूह से बदल दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जब लड़कों का एक समूह अपनी बारी का इंतजार कर रहे था, तो अचानक एक मौलवी साहब जो लड़कों को जिहाद का पाठ पढ़ा चुके थे वहां आ पहुंचे और उन्होंने वहां मौजूद अपने बेटे के गाल पर तीन थप्पड़ मार दिए। सभी ने उनकी उसकी आक्रामकता का कारण पूछा तो वह वह चिल्लाए यह लड़का अपनी नीट (मेडिकल प्रवेश) परीक्षा की तैयारी कर रहा है और अगर वह पत्थर फैंकता पकड़ा गया, तो उसका जीवन बर्बाद हो जाएगा। वजाहत कहते हैं कि मैंने अचानक अपने भाइयों की ओर देखा और उनके लिए खुद को जिम्मेदार महसूस किया।

भारत का ताज कश्मीर, कुर्बानी के लिए तैयार हूं
वजाहत कहते हैं कि पहले पाकिस्तान के खिलाफ बोलने पर धमकियां मिलती थीं। वह जब कॉलेज के फाइनल ईयर में थे तब ‘द रेसिस्टेंट फ्रंट’ की तरफ से धमकी मिली थी। वह कहते हैं कि 21 साल की उम्र में धमकी मिलने के बाद थोड़ा घबराया ज़रूर था, लेकिन हिम्मत से कम करता रहा। उनका मानना है कि इसके बाद जिंदगी और मौत बेशक अल्लाह के हाथ में है। अगर लोगों को सही रास्ते पर लाते हुए मौत आ गई सच्चा शहीद कहलाउंगा। वह कहते हैं कि मुझे नहीं पता कि कब तक जिंदा रहूंगा। लेकिन मुझे इतना भरोसा है कि अल्लाह हमारी मदद करेगा और हमें कामयाबी देता रहेगा। भारत का ताज कश्मीर है और इस ताज के मान-सम्मान के लिए हर कुर्बानी देने के लिए हमेशा तैयार हूं। 


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Content Writer

Anil dev

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