अर्थव्यवस्था के लिए शुभ साबित हो सकता है धनु राशि में गुरु का गोचर

punjabkesari.in Wednesday, Oct 30, 2019 - 09:09 AM (IST)

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धनु राशि में गुरु, 5 नवम्बर से 20 नवम्बर 2020

जालंधर: ज्योतिष में धन, समृद्धि, पुत्र और विद्या के कारक गृह गुरु देव 5 नवम्बर सुबह राशि परिवर्तन कर रहे हैं। गुरु वृश्चिक राशि से निकल कर अपनी मूल त्रिकोण राशि धनु में प्रवेश करेंगे और फिर इसके बाद अगले साल 20 नवम्बर को मकर राशि में गुरु का गोचर होगा। धनु राशि में रहने के दौरान गुरु 17 जनवरी से 14 फरवरी के मध्य अस्त स्थिति में रहेंगे जबकि 14 मई से 13 सितम्बर तक गुरु की चाल वक्री रहेगी और वक्र अवस्था के दौरान भी गुरु 30 मार्च से 30 जून तक मकर राशि में गोचर करेंगे और 30 जून को दोबारा धनु राशि में आकर वक्री होंगे। गुरु के इस गोचर का अर्थव्यवस्था से लेकर मानव जीवन के तमाम पहलुओं पर अच्छा या बुरा प्रभाव पड़ेगा। हालांकि जिस समय गुरु धनु राशि में प्रवेश करेंगे उस समय शनि और केतु की पहले से इस राशि में युति चल रही होगी और गुरु 24 जनवरी तक इस राशि में केतु और शनि के साथ ही रहेंगे और 24 जनवरी को शनि के मकर राशि में प्रवेश के बाद ही गुरु अपना असल प्रभाव देंगे क्योंकि इस बीच गुरु भी धनु राशि में कुछ डिग्री चल कर बलवान हो जाएंगे। पंजाब केसरी में आज से चंद्र राशि के हिसाब से गुरु के गोचर का विश्लेषण करेंगे और यह बताने की कोशिश करेंगे कि गुरु का गोचर आपके लिए कैसा रहेगा। आज की शुरूआत मेष राशि के जातकों से।  

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मेष राशि के जातकों के लिए गुरु का नौवें भाव में गोचर अपनी जगह ठीक है, इसके अच्छे परिणाम मिलेंगे लेकिन यदि कोई जातक पहले से सूर्य, मंगल, राहू, केतु अथवा शनि जैसे पापी गृह की महादशा से गुजर रहा है और जिस गृह की महादशा चल रही है अगर वह गृह कुंडली में पीड़ित है तो उस महादशा के अपने फल भी मिलते रहेंगे, हालांकि गुरु का गोचर उन्हीं मामलों में राहत पहुंचाएगा जिन स्थानों पर गुरु की दृष्टि पड़ेगी और यदि किसी अन्य गृह की महादशा में गुरु की अंतर्दशा आती है तो वह समय निश्चित तौर पर मेष राशि के जातकों के लिए फायदेमंद होगा। 
बी.एस. देवगन, जालंधर कैंट

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मेष राशि को मिलेगा धन और संतान सुख
इस राशि के लिए सबसे बड़ी राहत वाली बात यह है कि गुरु इस राशि के जातकों के लिए आठवें भाव से निकल जाएंगे और भाग्य स्थान से गोचर करेंगे। मेष राशि के लिए गुरु का भाग्य स्थान और मूल त्रिकोण राशि में गोचर करना अपने आप में ज्योतिष के लिहाज से बहुत अच्छा है। ऐसे जातकों की यदि पहले से गुरु की अच्छी महादशा चल रही है तो यह सोने पर सुहागे वाली बात होगी क्योंकि गुरु इस राशि के लिए न सिर्फ भाग्य स्थान के मालिक हैं बल्कि विदेश यात्रा का 12वां भाव भी गुरु के स्वामित्व वाला भाव है। नौवें भाव में विराजमान गुरु लग्न पर दृष्टिगत होकर न सिर्फ स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं को दूर करेंगे बल्कि यहां से तीसरे भाव पर गुरु की दृष्टि भाई-बहनों के साथ सद्भाव बढ़ाने के साथ-साथ पराक्रम में वृद्धि करने वाली भी होगी। इसके साथ ही गुरु की पांचवें भाव पर दृष्टि उन विवाहित जोड़ों के लिए अच्छी है जो संतान सुख से वंचित थे। उनके लिए गुरु का यह गोचर संतान सुख के लिहाज से काफी अहम है। पांचवें भाव पर गुरु की दृष्टि से मेष राशि के जातक अब सोच-समझ कर फैसले ले सकेंगे और गुरु की इस भाव पर दृष्टि निवेश के लिए भी फायदेमंद है। उच्च शिक्षा के लिए जा रहे स्टूडैंट्स को भी गुरु के इस गोचर से खास लाभ होगा।

-प्रस्तुति: नरेश

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Niyati Bhandari

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