J&K से आतंकियों का सफाया करेगी 'अमेरिकन असॉल्ट रायफलें', सेना की बढ़ी ताकत

punjabkesari.in Wednesday, Dec 11, 2019 - 01:48 PM (IST)

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की नापाक हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना की ताकत में इजाफा हुआ है। भारतीय सेना ने आधुनिकरण की प्रक्रिया के तहत 10 हजार अमेरिकन सिग सउर रायफल के पहले बैच को शामिल कर लिया गया है। इनका प्रयोग घाटी में हो रही आतंकरोधी अभियान में किया जाएगा। खबर है कि भारत ने अपने अग्रिम पंक्ति के सैनिकों को अत्याधुनिक असलहे से लैस करने के लिए फास्ट ट्रैक प्रक्रियाओं के तहत  72,400 सिग सउर राइफलों का ऑर्डर दिया है।

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सेना को पहली खेप में 10 हजार SiG 716 असॉल्ट राइफलें
सूत्रों के अनुसार भारतीय सेना ने अपने स्नाइपर राइफलों के लिए गोला बारूद की स्प्लाई भी शुरू कर दी है। जिसके तहत 21 लाख से अधिक राउंड सप्लाई का आर्डर दिया गया है। सेना को पहली खेप में 10 हजार SiG 716 असॉल्ट राइफलें मिली हैं। इन राइफलों को जम्मू-कश्मीर में तैनात भारतीय सेना के उत्तरी कमांड को सौंप दिया गया है, जो जम्मू-कश्मीर में काउंटर टेरिरिस्ट ऑपरेशनों को देख रही है। बता दें कि यह कमांड सीमा पार से होने वाली घुसपैठ को रोकने का काम करती है। ऐसे में इन राइफलों से सेना को काफी सहायता मिलेगी। क्योंकि, यह रायफल नजदीक से मार करने (क्लोज कॉम्बेट) और दूर से मार करने वाली रायफलों की श्रेणी की सबसे उन्नत तकनीक से लैस है।

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राइफलों की सप्लाई एक साल के भीतर होगी
भारत ने अमेरिका के साथ 700 सेना को 72,400 नई असॉल्ट राइफलों से लैस करने के लिए 700 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। इन राइफल्स की आपूर्ति अमेरिकी हथियार निर्माता सिग सउर द्वारा की जा रही है। इन राइफलों की सप्लाई एक साल के भीतर होनी है।

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राइफलों की खेप को 3 भागों मे बांटा जाएगा
अमेरिका से मिलने वाली इन राइफलों की खेप को तीन भागों में बांटा जाएगा। जिसके तहत सेना को 66 हजार राइफलें मिलेगी जिसके बाद 2 हजार दो हजार रायफलों को भारतीय नौसेना और 4 हजार रायफलों को भारतीय वायु सेना को सौंपा जाएगा। सिग सउर राइफलें (SIG716 7.62x51) भारत में बनी 5.56x45 मिमी इंसास राइफलों की जगह लेंगी। खबरों की मानें तो सिग सउर के अलावा भारतीय सेना 7 लाख से अधिक एके 203 असॉल्ट राइफलों को शामिल करने की तैयारी में है। इनका उत्पादन भारत और रूस के सयुंक्त उपक्रम के तहत हो रहा है।

 


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Author

rajesh kumar

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