वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बना फसलों पर कीटों की नई प्रजातियों का आक्रमण :प्रो.कंबोज

punjabkesari.in Wednesday, Jul 28, 2021 - 03:39 PM (IST)

नेशनल डेस्क: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहा है कि बदलते जलवायु परिप्रेक्ष्य में फसलों पर कीटों की नई प्रजातियों का आक्रमण वैज्ञानिकों के लिए चुनौती है तथा किसान जागरूकता के अभाव में वैज्ञानिक सलाह के बिना फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों व रसायनों का मिश्रित छिडक़ाव कर रहे हैं जो मनुष्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि कीटनाशकों का पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है साथ ही फसलों पर भी विपरीत असर पड़ रहा है और किसान को आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है।

इसलिए वैज्ञानिकों को इन सब पहलुओं को ध्यान में रखकर अपने शोध कार्य को आगे बढ़ाना चाहिए। प्रो कंबोज ने वैज्ञानिकों को सलाह दी है कि वर्तमान समय की कीट समस्याओं को ध्यान में रखकर ही अनुसंधान कार्य करें और ऐसे प्रबंधन उपायों की खोज पर बल दें जो कीटों की रोकथाम करें और मनुष्य के स्वास्थ्य व वातावरण के लिए भी सुरक्षित हों। कुलपति ने कृषि महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के वार्षिक तकनीकी कार्यक्रम में वैज्ञानिकों से आज ऑनलाइन रूबरू होते हुए उन्हें भविष्य के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ज्यादा से ज्यादा किसान समुह बनाकर किसानों को जागरूक एवं प्रेरित करें और उन्हें फसलों पर कीटनाशकों व अन्य रसायनों के प्रयोग के लिए जानकारी मुहैया करवाएं। इसके लिए समय-समय पर किसानों को सलाह मशविरा एवं हिदायतें भी जारी की जानी चाहिए। साथ ही, वैज्ञानिक अपने शोध कार्यों को इस प्रकार से आगे बढ़ाएं कि किसानों को कीटों की समस्या से निजात मिल सके और पर्यावरण पर भी उसका कोई दुष्प्रभाव न हो। उनके अनुसार वर्तमान में फसलों में दिए जाने वाले रसायनों व उर्वरकों का अगली फसलों पर पडऩे वाले प्रभावों व फसल प्रणाली के अनुसार अनुसंधान किया जाना चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र व अनुसंधान केंद्र विश्वविद्यालय का आइना होते हैं।

इसलिए वे किसानों को विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की जाने वाली हर उन्नत किस्मों व तकनीकों के बारे में ज्यादा से ज्यादा अवगत कराएं ताकि अधिकाधिक किसान फायदा ले सकें। साथ ही विभाग द्वारा किसानों की सहायता के लिए जरूरी तकनीकी विशेषांक उपलब्ध करवाएं। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के निदेशक व विभागाध्यक्ष सहित कई कृषि विशेषज्ञ मौजूद रहे, जिन्होंने शोध के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए भविष्य के लिए बहुमूल्य सुझाव दिए।


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Content Editor

Hitesh

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