Russia-Ukraine War: लड़ाई खत्म नहीं हुई तो पूरी दुनिया में मचेगी तबाही!

punjabkesari.in Wednesday, Mar 23, 2022 - 04:27 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: हाल के वर्षों में, इथियोपिया, सीरिया, अफगानिस्तान और यमन में संघर्षों ने भारी पीड़ा दी है। उन्होंने स्थानीय आबादी के स्वास्थ्य और जीवन को तबाह कर दिया है और अनगिनत लोग अनावश्यक रूप से मारे गए हैं। यूक्रेन पर रूस का आक्रमण दुनिया को फिर एक बार युद्ध के घिनौने परिणाम से रूबरू करवा रहा है। साथ ही इन संघर्षों में प्रत्यक्ष रूप से हताहत होने के साथ-और बहुत से लोग बीमार होंगे और स्वास्थ्य प्रणालियों के बाधित होने और स्वच्छ पानी, भोजन, दवाओं या गर्म स्थान अथवा आश्रय तक पहुंच की कमी के कारण मृत्यु का शिकार होंगे। इन विकट परिस्थितियों में संक्रामक रोगों पर नियंत्रण कम हो जाता है। ऐसा ही एक संक्रामक रोग है तपेदिक (टीबी) । 

टीबी एक संक्रामक रोग है जो खांसने से फैलता है। इसने इतिहास में किसी भी अन्य एकल संक्रामक रोग की तुलना में अधिक लोगों को मार डाला है, जिसमें सार्स-कोव-2 भी शामिल है। टीबी का इलाज संभव है, लेकिन लोगों को कई महीनों तक इलाज कराने के लिए मदद की जरूरत होती है। बहुऔषध प्रतिरोधी टीबी (एमडीआर-टीबी) और व्यापक रूप से दवा प्रतिरोधी टीबी (एक्सडीआर-टीबी) का इलाज करना अधिक कठिन है, जो प्रति वर्ष पांच लाख लोगों को प्रभावित करता है। एमडीआर-टीबी एक प्रमुख वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है और रोगाणुरोधी प्रतिरोध से मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। इसके लिए दवाओं की अधिक विस्तृत श्रृंखला की आवश्यकता होती है, कभी-कभी 24 महीनों तक। 

यह, असंख्य दुष्प्रभावों के साथ, एमडीआर-टीबी को ठीक करना कठिन बना देता है। टीबी और एमडीआर-टीबी का प्रभाव न केवल शारीरिक बल्कि सामाजिक आर्थिक भी होता है। एमडीआर-टीबी से बीमार होना, तिमारदारी की व्यवस्था करना, और अस्पताल में भर्ती होना बेहद खर्चीला और आम तौर पर पहुंच से बाहर होता है। आय का कोई स्रोत न होने पर यह विनाशकारी हो सकता है। पिछले दशकों में रूस और यूक्रेन सहित पूर्व सोवियत देशों में एमडीआर-टीबी की महामारी देखी गई है। खंडित स्वास्थ्य प्रणालियों और छिटपुट दवा आपूर्ति के कारण रोग पनपता है। सोवियत संघ के विघटन के बाद ऐसी स्थितियों ने इन राज्यों को त्रस्त कर दिया, और हालात युद्ध से भी ज्यादा बदतर हो गए। अनुपचारित एचआईवी टीबी के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है और इस क्षेत्र में एचआईवी के साथ रहने वाले लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। हाल के वर्षों में टीबी की घटनाओं को कम करने के बावजूद, यूक्रेन में अभी भी यूरोप में टीबी का सबसे अधिक बोझ है। 

साथ ही, यह बहुत चिंता का विषय है कि प्रभावित लोगों में से लगभग एक तिहाई को दवा प्रतिरोधी टीबी है, जिसमें एमडीआर-टीबी और एक्सडीआर-टीबी की उच्च और बढ़ती दर है। यूक्रेन पर आक्रमण पूरे क्षेत्र में और उससे भी आगे टीबी नियंत्रण के लिए एक आसन्न आपदा है। युद्ध कहीं भी हो यमन में हैजा से लेकर सीरिया में पोलियो और अफगानिस्तान में खसरा तक संक्रामक रोगों के प्रकोप और महामारी की नींव रखता है। दरअसल, दोनों विश्व युद्धों के कारण टीबी से होने वाली मौतों में भारी वृद्धि हुई है। युद्ध ऐसी स्थितियों की ओर ले जाते हैं जहां टीबी को पनपने के लिए अनुकूल माहौल मिलता है, जिसमें खाद्य असुरक्षा और कम हवादार स्थानों पर भीड़भाड़ शामिल है।

यूक्रेन भर में बम आश्रयों में कई लोग वर्तमान में इसी तरह की गंभीर स्थिति का सामना कर रहे हैं। युद्धों ने स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को तबाह कर दिया, टीकाकरण कार्यक्रमों को नष्ट कर दिया और गुणवत्ता देखभाल तक पहुंच सीमित कर दी। इसका मतलब है कि अस्वस्थ लोगों में अक्सर देर से निदान होता है, जिसके परिणामस्वरूप बदतर जटिलताएं होती हैं और आगे संचरण की अधिक संभावना होती है। रूस के हालिया आक्रमण के बाद 30 लाख से अधिक लोग यूक्रेन से भाग गए हैं। इससे पहले सीरिया, अफगानिस्तान और इथियोपिया से हाल में भारी पैमाने पर पलायन हुआ, जिनमें से बहुत से लोग एमडीआर-टीबी से पीड़ित है। इस तरह का विस्थापन सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रियाओं को चुनौती देने वाला है। 


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Content Writer

Anil dev

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