आप्रवासियों के सरल कानूनों पर विचार कर रहा है जर्मनी, देश में 5 बाद मिल सकती है नागरिकता

punjabkesari.in Tuesday, Dec 06, 2022 - 11:51 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: जर्मनी सरकार आप्रवासियों के लिए नागरिकता लेने के नियमों को आसान बनाने पर विचार कर रही है। हाल ही में जर्मनी की अखबार बिल्ड में छपी खबर के मुताबिक गृह मंत्रालय एक प्रस्ताव का मसौदा तैयार कर रहा है जिसमें आप्रवासियों को पांच साल देश में रहने पर ही नागरिकता के योग्य मान लिए जाने का प्रावधान है। अभी यह समय सीमा आठ साल है। दरअसल, दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था माने जाने वाली जर्मनी को कुशल प्रवासियों की तलाश है। जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने भी अपने भारत दौरे के दौरान समग्र प्रवासन एवं आवाजाही साझेदारी समझौते के बाद जमर्नी के वीजा नियमों को सरल बनाने के  संकेत दिए हैं।

बताया जा रहा है कि बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण करने के लिए वहां आईटी प्रोफेशनल की जरूयरत ज्यादा है। वहीं भारत के आईटी पेशेवरों को जर्मनी आने का अवसर दिया जा रहा है। कई जर्मन कंपनियां पहले से ही भारत से काम आउटसोर्स करती है। इसलिए आने वाले समय में भारतीयों की जर्मनी में ज्यादा जरुरत पड़ सकती है। रिपोर्ट में कहा है गया है कि जर्मन समाज में घुलने-मिलने के लिए अगर आप्रवासी विशेष उपाय करेंगे तो उन्हें तीन साल में भी नागरिकता के लिए आवेदन करने का अधिकार मिल सकता है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि अभी कुछ तय नहीं हुआ है और फिलहाल मसौदे पर चर्चा हो रही है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इमिग्रेशन सिस्टम में सुधार की जो बात हो रही है, उसके तहत देश में जन्मे उन बच्चों को जर्मन नागरिकता मिल जाएगी, जिनके माता या पिता में से कोई एक कानूनन देश में पांच साल बिता चुके हैं। ये बदलाव उस मांग की प्रतिक्रिया में हो रहे हैं जिसमें देश के 16 राज्यों के विदेशियों के जर्मनी में जन्मे बच्चों की नागरिकता की प्रक्रिया तेज करने का आग्रह किया था। प्रस्तावित सुधारों के मुताबिक 67 साल से ऊपर के लोगों को नागरिकता के लिए लिखित जर्मन परीक्षा नहीं देनी होगी और मौखिक रूप से संवाद के योग्य होना ही काफी होगा। एक अन्य ने अखबार ‘द लोकल‘ ने खबर दी थी कि जर्मनी की सरकार आप्रवासियों को दोहरी नागरिकता रखने की इजाजत देने पर विचार कर रही है। फिलहाल यह अधिकार यूरोपीय संघ के कुछ देशों और स्विट्जरलैंड के नागरिकों को ही है।

बताया जाता है कि जर्मन नागरिकता और आप्रवासन व्यवस्था में प्रस्तावित सुधारों को लेकर गठबंधन सरकार के दलों में समझौता हुआ था. सरकार बनाने के लिए चांसलर ओलाफ शॉल्स की सोशल डेमोक्रेट्स पार्टी (एसपीडी), ग्रीन पार्टी और फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (एफडीपी) के बीच जो समझौता हुआ था, उसमें एक धारा नागरिकता सुधारों को लेकर भी थी। तीनों दलों के गठबंधन ने वादा किया था कि आप्रवासियों को दोहरी नागरिकता रखने की इजाजत दी जाएगी। उन्होंने शरणार्थी और वीजा प्रक्रिया की गति बढ़ाने का भी वादा किया था। विपक्षी दल क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन इस प्रस्ताव को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं। पार्टी के सांसद थॉर्स्टन फ्राई ने एक बयान में कहा है कि जर्मन पासपोर्ट को कूड़ा नहीं बनाया जाना चाहिए। सीडीयू की बावेरियाई सहयोगी दल क्रिश्चियन सोशल यूनियन की आंड्रिया लिंडहोत्ज ने कहा कि अगर यह प्रस्ताव पारित होता है तो जर्मनी में रहने वाले विदेशियों के लिए देश में घुलने-मिलने का कोई फायदा ही नहीं रह जाएगा।

एक अनुमान के मुताबिक जर्मनी में 1.18 करोड़ विदेशी रहते हैं। इसी साल जून में आई एक रिपोर्ट में बताया गया कि 2021 में लगभग 1,31,600 विदेशियों ने जर्मनी की नागरिकता ली थी। केंद्रीय सांख्यिकी विभाग के मुताबिक 2020 के मुकाबले 2021 में देश की नागरिकता लेने वालों में करीब 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ था। पिछले साल जर्मन नागरिकता लेने वालों में 173 देशों के लोग थे। इनमें से एक चौथाई ही यूरोपीय संघ के लोग थे। सबसे बड़ी संख्या सीरिया से आए लोगों की थी। 19,100 सीरियाई मूल के लोगों ने जर्मन नागरिकता ग्रहण की थी। उसके बाद तुर्की (12,200), रोमानिया (6,900) और पोलैंड (5,500) का नंबर था। 2022 में जर्मनी में सीरियाई मूल के लगभग साढ़े चार लाख लोग हैं जो कम से कम छह साल से जर्मनी में रह रहे हैं। यह एक रिकॉर्ड है। अब तक जर्मन नागरिकता के लिए  कम से कम आठ साल का निवास जरूरी होता है लेकिन प्रस्तावित सुधार पारित होते हैं तो ये सभी सीरियाई नागरिक फौरन नागरिकता पाने के योग्य हो जाएंगे। 


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Content Writer

Anil dev

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