PAK राजदूत ने कहा- तालिबान हिंसा के पीछे इस्लामाबाद का ही हाथ, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय न करे नजरअंदाज
punjabkesari.in Wednesday, Aug 04, 2021 - 11:51 AM (IST)
काबुल: अफगानिस्तान में पाकिस्तान के राजदूत हुसैन हक्कानी ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इस्लामाबाद की आतंकवादी गतिविधियों की अनदेखी नहीं करने और देश से तालिबान और अन्य आतंकवादी समूहों का समर्थन नहीं करने का आग्रह किया है। रविवार को सीएनएन के साथ एक साक्षात्कार में पूर्व पाकिस्तानी राजदूत हक्कानी से पूछा गया कि क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस तथ्य की अनदेखी की कि इतने सालों से अफगान युद्ध के पीछे पाकिस्तान था। इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि इस्लामाबाद क्षेत्र में सभी आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करता रहा है।
अफगानिस्तान टाइम्स के अनुसार, हक्कानी ने कहा कि पाकिस्तान अभी भी तालिबान का समर्थन कर रहा है और उसने भारत को कमजोर करने के लिए आतंकवादी समूह स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद पाकिस्तान की विदेश नीति का स्पष्ट हिस्सा है जबकि उसकी शक्तिशाली सेना पूरी तरह से आतंकवादी समूहों की स्थापना और प्रशिक्षण पर केंद्रित है। उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करना बंद करने की सलाह दी और कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की निंदा की। उन्होंने चेतावनी दी । हक्कानी इससे पहले अमेरिका और श्रीलंका में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके हैं।
हक्कानी ने कहा कि तालिबान अल-कायदा आतंकवादी नेटवर्क के साथ घनिष्ठ संबंध रखता है और संयुक्त राज्य अमेरिका इसके बारे में जानता है। उन्होंने अमेरिका से इस स्थिति को खत्म करने के लिए व्यावहारिक कदम उठाने का आह्वान किया। इसके अलावा, राष्ट्रपति अशरफ गनी के नेतृत्व वाली अफगान सरकार ने तालिबान की सहायता के लिए पाकिस्तान पर हमले तेज कर दिए हैं, हालांकि पाकिस्तान इसका जोरदार खंडन करता है।
गनी ने आतंकवादी संगठनों के समूहों के साथ अपने संबंध नहीं तोड़ने के लिए पाकिस्तान को लताड़ा था और कहा था कि खुफिया रिपोर्टों के अनुसार पिछले महीने 10,000 से अधिक 'जिहादी' लड़ाके अफगानिस्तान में दाखिल हुए थे। उन्होंने कहा कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार तालिबान को चल रही शांति वार्ता में "गंभीरता से बातचीत" करने के लिए मनाने में विफल रही है।
अफगान विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा था कि तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान में अपने हिंसक अभियान को तेज कर दिया है और उनके सैन्य हमले को पाकिस्तानी कुख्यात जासूसी एजेंसी - इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) द्वारा समर्थित किया जा रहा है। पाकिस्तानी सेना कथित तौर पर अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांतों में प्रशिक्षण शिविर स्थापित करने और भर्ती में तालिबान की सहायता कर रही है।