चीनी उप विदेश मंत्री से मिले भारतीय राजदूत, लद्दाख में सैनिकों की वापसी में तेजी लाने को कहा

punjabkesari.in Sunday, Mar 07, 2021 - 11:43 AM (IST)

नेशनल डेस्क: चीन में नियुक्त भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने शुक्रवार को चीनी उप विदेश मंत्री लुओ झाओहुई से मुलाकात की। उन्होंने पूर्वी लद्दाख के शेष हिस्सों से दोनों देशों के सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि इससे सीमा पर शांति एवं स्थिरता बहाल करने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि इससे द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के लिए अनुकूल माहौल भी बनेगा। दोनों देशों के सैनिकों और सैन्य साजो सामान को पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी तटों से हटाया जाना पूरा होने के कुछ दिनों बाद उनकी यह मुलाकात हुई है।

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समझा जाता है कि भारत ने पिछले महीने दोनों देशों के वरिष्ठ कमांडरों की 10वें दौर की बैठक में इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्र में तनाव घटाने के लिए हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग जैसे इलाकों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया तेज करनी होगी। यहां भारतीय दूतावास ने एक ट्वीट में कहा कि राजदूत विक्रम मिस्री ने उप विदेश मंत्री लुओ झाओहुई से आज मुलाकात की। नई दिल्ली में, भारतीय विदेश मंत्रालय ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध के मुद्दे पर शुक्रवार को उम्मीद जताई कि चीन राजनयिकों एवं सैन्य कमांडरों के बीच मौजूदा संवाद तंत्र के माध्यम से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित करने के वास्ते पूर्वी लद्दाख में शेष इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी करेगा ताकि दोनों पक्ष अपने बलों को पीछे हटा सकें। यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों की सेनाओं ने पैंगोंग सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया हाल में पूरी की है।

 

बता दें कि दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में कई महीने तक जारी गतिरोध के बाद उत्तरी और दक्षिणी पैंगोंग क्षेत्र से अपने अपने सैनिकों एवं हथियारों को पीछे हटा लिया था। हालांकि कुछ मुद्दे अभी बने हुए हैं। समझा जाता है कि बातचीत के दौरान भारत ने गोगरा, हाट स्प्रिंग, देपसांग जैसे क्षेत्रों से भी तेजी से पीछे हटने पर जोर दिया था। विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पिछले सप्ताह करीब 75 मिनट तक टेलीफोन पर बात की थी। जयशंकर ने वांग से कहा था कि द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिये सीमा पर शांति एवं स्थिरता जरूरी है । दोनों नेताओं ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा और भारत चीन संबंधों के सम्पूर्ण आयामों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की।

 

भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल 2020 में 5 मई को सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था। दोनों देशों के बीच पैंगोंग झील वाले इलाके में हिंसक झड़प हुई और इसके बाद दोनों देशों ने कई स्थानों पर साजो-सामान के साथ हजारों सैनिकों की तैनाती कर दी। इसके बाद पिछले चार दशकों में सबसे बड़े टकराव में 15 जून को गलवान घाटी में झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। झड़प के करीब आठ महीने बाद चीन ने स्वीकार किया कि उसके भी चार सैन्यकर्मी मारे गए थे।


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Content Writer

Seema Sharma

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