चालबाज चीन को भारत का सख्त संदेश- जल्द से जल्द तनाव वाली जगह से हट जाओ पीछे

punjabkesari.in Monday, Aug 03, 2020 - 11:09 AM (IST)

नेशनल डेस्क: पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कुछ स्थानों से पीछे नहीं हटने की रिपोर्ट के बीच भारत ने चीन को चेताते हुए कहा कि वह जल्द से जल्द सभी स्थानों से पीछे हट जाए। भारतीय और चीनी सेना के शीर्ष कमांडरों के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों के जल्द पीछे हटने को सुनिश्चित करने के लिए रविवार को पांचवें चरण की बातचीत हुई, जिस दौरान भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए चीन को चेतावनी दी।

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सैन्य सूत्रों ने बताया कि दो महीने के भीतर कोर कमांडर स्तर की यह पांचवें चरण की वार्ता थी, जिसका लक्ष्य पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो इलाके में पांच मई को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के कारण सीमा पर उत्पन्न तनाव को खत्म करना था। सूत्रों के मुताबिक बातचीत में भारत ने पैंगोंग सो और पूर्वी लद्दाख में LAC के पास टकराव वाले सभी स्थानों से चीनी सैनिकों के जल्द से जल्द पूरी तरह पीछे हटने को लेकर जोर डाला। 

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कोर कमांडर स्तर की पिछली वार्ता 14 जुलाई को हुई थी, जो करीब 15 घंटे तक चली थी। बातचीत में, भारतीय पक्ष ने चीनी सेना (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) को “बहुत स्पष्ट” संदेश दिया था कि पूर्वी लद्दाख में पहले की स्थिति बरकरार रखी जाई और उसे इलाके में शांति बहाल करने के लिए सीमा प्रबंधन के संबंध में उन सभी प्रोटोकॉल का पालन करना होगा, जिनपर परस्पर सहमति बनी है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को उसकी सीमा (लक्ष्मण रेखा) से अवगत कराया था और कहा था कि क्षेत्र में पूरी स्थिति में सुधार लाने की जिम्मेदारी मुख्यत: चीन पर है। 

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सूत्रों के मुताबिक चीनी सेना गलवान घाटी और टकराव वाले कुछ अन्य स्थानों से पहले ही पीछे हट चुकी है, लेकिन भारत की मांग के अनुसार पैंगोंग सो में फिंगर इलाकों से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। भारत इस बात पर जोर देता आ रहा है कि चीन को फिंगर-4 और फिंगर-8 के बीच वाले इलाकों से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए। दोनों पक्षों के बीच 24 जुलाई को, सीमा मुद्दे पर एक और चरण की कूटनीतिक वार्ता हुई थी। वार्ता के बाद, विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए द्विपक्षीय समझौते एवं प्रोटोकॉल के तहत एलएसी के पास से सैनिकों का जल्द एवं पूरी तरह पीछे हटना जरूरी है।
 


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vasudha

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