भारत-रूस ने UN के जलवायु परिवर्तन प्रस्ताव के खिलाफ किया मतदान, चीन ने नहीं लिया हिस्सा

punjabkesari.in Tuesday, Dec 14, 2021 - 11:05 AM (IST)

 न्यूयॉर्क: भारत और वीटो का अधिकार रखने वाले रूस ने सोमवार को जलवायु परिवर्तन को अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए खतरा बताने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद  (UNSC) के अपनी तरह के पहले प्रस्ताव  के खिलाफ मतदान किया जबकि चीन ने मतदान में भाग नहीं लिया। इसी के साथ ही संयुक्त राष्ट्र की सबसे शक्तिशाली संस्था में वैश्विक ताप वृद्धि को निर्णय निर्धारण में अधिक केंद्रीय बनाने के लिए एक साल तक चला प्रयास विफल हो गए।

 

भारत ने  (UNSC) के  प्रस्ताव के खिलाफ  किए मतदान को लेकर तर्क दिया कि यह कदम ग्लासगो में कड़ी मेहनत से किए गए सर्वसम्मत समझौतों को कमजोर करने का प्रयास है।  संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, ‘जब जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कदम उठाने और जलवायु न्याय की बात आती है, तो भारत सबसे आगे रहता है, लेकिन सुरक्षा परिषद इनमें से किसी भी मामले पर चर्चा करने का स्थान नहीं है। बल्कि, ऐसा करने की कोशिश उचित मंच पर जिम्मेदारी से बचने और कदम उठाने की अनिच्छा से दुनिया का ध्यान भटकाने की इच्छा से प्रेरित प्रतीत होती है।’

 

उन्होंने भारत के फैसले का कारण बताते हुए कहा, ‘आज का (UNSC) प्रस्ताव ग्लासगो में बनी आम सहमति को कमजोर करने का प्रयास है। यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र की वृहद सदस्यता के बीच केवल कलह के बीज बोएगा।’ तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत के पास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था।   बता दें कि आयरलैंड और नाइजीरिया के नेतृत्व में इस प्रस्ताव में ‘‘जलवायु परिवर्तन के सुरक्षा असर पर जानकारी को'' संघर्षों से निपटने के लिए परिषद की रणनीतियों में शामिल करने का आह्वान किया गया।

 

इस दौरान आयरलैंड के राजदूत गेराल्डिन बायर्ने नैसन ने कहा कि यह ‘‘लंबे समय से लंबित'' था और संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा संबंधित शीर्ष संस्था इस मुद्दे को उठाए। परिषद ने 2007 के बाद से जलवायु परिवर्तन के सुरक्षा पर पड़ने वाले असर पर कभी-कभी ही चर्चा की है और उसने प्रस्ताव पारित किए जिसमें विशिष्ट स्थानों जैसे कि विभिन्न अफ्रीकी देशों और इराक में ताप वृद्धि के खतरनाक असर का जिक्र किया गया है।

 

सोमवार के प्रस्तावित प्रस्ताव में कहा गया है कि खतरनाक तूफान, समुद्र का बढ़ता स्तर, बार-बार आने वाली बाढ़ और सूखा तथा ताप वृद्धि के अन्य असर सामाजिक तनाव और संघर्ष भड़का सकते हैं जिससे ‘‘वैश्विक शांति, सुरक्षा और स्थिरता को अहम जोखिम हो सकता है।'' संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 113 ने इसका समर्थन किया, जिसमें परिषद के 15 में से 12 सदस्य शामिल हैं। रूस के राजदूत वासिली नेबेंजिया ने शिकायत की कि सोमवार को प्रस्तावित प्रस्ताव ‘‘एक वैज्ञानिक और आर्थिक मुद्दे को राजनीतिक सवाल'' में बदल देगा और परिषद का ध्यान विभिन्न स्थानों पर संघर्ष के ‘‘वास्तविक'' स्रोतों से भटका देगा। भारत और चीन ने संघर्ष को जलवायु परिवर्तन से जोड़ने के विचार पर सवाल खड़ा किया।


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Content Writer

Tanuja

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