UNHRC में पाक ने फिर मुंह की खाई, भारत बोला- खून-खराबे वाला देश हमें ना दे नसीहत
punjabkesari.in Tuesday, Jun 16, 2020 - 09:43 AM (IST)
नेशनल डेस्क: हर मोर्चे पर मुंह की खाने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। वह भारत को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता है। इस बार भी उसने कुछ ऐसा ही करना चाहा लेकिन भारत ने उसे आईना दिखाते हुए अपने गिरेबान में झांकने को कहा है। भारत ने कहा कि खून-खराबे वाला देश हमें नसीहत देने की कोशिश ना करे।
#WATCH: India exercises its right of reply in response to statement made by Pakistan, at 43rd session of UN Human Rights Council; Senthil Kumar,1st Secretary at Permanent Mission of India, Geneva says, "Systematic misuse of blasphemy in Pak has terrorized minorities in Pakistan". pic.twitter.com/IEhaN4lN80
— ANI (@ANI) June 15, 2020
पाक की विश्वसनीयता कटघरे में
जेनेवा में आयोजित मानवाधिकार परिषद के 43वें सत्र में पर्मानेंट मिशन ऑफ इंडिया के फर्स्ट सेक्रटरी सेंथिल कुमार ने पाकिस्तान के आरोपों की धज्जियां उड़ाते हुए उसे जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ अपने तुच्छ एजेंडा को पूरा करने के लिए परिषद की प्रक्रिया को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। सेंथिल ने कहा कि जिस देश की विश्वसनीयता ही कटघरे में हो, वह देश आखिर कैसे दूसरे देश पर सवाल उठा सकता है। यह देश धार्मिक कट्टरवाद, खून-खराबे से बना है, इसके इतिहास में तख्तापलट, हत्याओं की घटना भरी पड़ी है।
अपने गिरेबान में झांके पाक
दरअसल पाकिस्तान ने यूएनएचआरसी में कश्मीर का मुद्दा उठाकर भारत को घेरने की कोशिश की थी, जिस पर सेंथिल कुमार ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि जो देश नरसंहार करता है उसमे इतनी हिम्मत आ गई है कि वह दूसरे देश पर आरोप लगा रहा है। पाकिस्तान को दूसरों को राय देने से पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए और अपने देश में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन पर ध्यान देना चाहिए। सेंथिल ने कहा कि पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का कोई बाहरी असर नहीं हुअा है। लोगों ने कश्मीर में शांति व्यवस्था बिगाड़ने की पाकिस्तान की कोशिशों के खिलाफ रैलियां की थी। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान में मानवाधिकार हनन का ट्रैक रिकॉर्ड बरकरार है।
पाक का असली चेहरा आ गया है सामने
कुमार ने कहा कि कि जिस देश की विश्वसनीयता पर ही सवाल हो वह मानवाधिकारों और सेल्फ डिटरमिनेशन कैसे उठा सकता है। पाकिस्तान में ईशनिंदा का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों को डराने के लिए किया जाता है। लाहौर में एक ईसाई लड़की, चलेकी में अहमदी महिला, सिंध में दो हिंदू लड़कियों, खैरपुर में दो प्रोफेसरों के साथ जो बर्ताव किया गया है वह सबको पता है। यही नहीं 2015 में 56 ट्रांसजेंडरों की हत्या की गई और इसे पाकिस्तान सरकार का संरक्षण मिला। ये घटनाएं पाकिस्तान के असली चेहरे को दुनिया के सामने लाती हैं।