लेह पहुंचे दलाई लामा ने कही बड़ी बात-भारत और चीन शांतिपूर्ण तरीके से न‍िपटाएं सीमा विवाद

punjabkesari.in Saturday, Jul 16, 2022 - 01:47 PM (IST)

 

इंटरनेशनल डेस्कः एक महीने के दौरे पर केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लेह स्थित अपने घर पर पहुंचे तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा पत्रकारों से बातचीत दौरान भारत-चीन सीमा विवाद पर भी बात की। हालांकि ये दलाईलामा की पूर्ण रूप से धार्मिक यात्रा है इसके बावजूद उन्होंने   भारत-चीन सीमा विवाद पर कहा क‍ि भारत और चीन दोनों एक-दूसरे के पड़ोसी हैं। देर-सबेर आपको इस समस्या को बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से सुलझाना होगा। सैन्य बल का इस्तेमाल अब पुराना तरीका हो गया है।

 

2020 में COVID-19 महामारी के फैलने के बाद से धर्मशाला में अपने बेस के बाहर दलाई लामा का जहां यह पहला आधिकारिक दौरा है वहीं यह  यात्रा जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से  उनकी पहली यात्रा है। दलाई लामा का यहां पहुंचने पर उनके अनुयायियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। उनके अनुयायी बड़ी संख्या में जमा हुए। 87 साल के आध्यात्मिक नेता ने पत्रकारों से कहा क‍ि चीन में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जिन्हें यह अहसास है कि वह 'स्वतंत्रता' की मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि सार्थक स्वायत्तता और तिब्बती बौद्ध संस्कृति के संरक्षण की मांग कर रहे हैं। सभी विवादों का बातचीत के जरिए हल निकालने की पैरवी करते हुए दलाई लामा ने कहा कि सभी इंसान बराबर हैं और उन्हें 'मेरा देश, मेरी विचारधारा' वाली संकीर्ण सोच से ऊपर उठने की जरूरत है क्योंकि यही लोगों में लड़ाई का प्रमुख कारण है।

 
दलाई लामा ने कहा क‍ि चीन के कुछ कट्टरपंथी मुझे अलगाववादी और सुधार का विरोधी समझते हैं और हमेशा मेरी आलोचना करते हैं। लेकिन अब अधिक संख्या में चीन के लोगों को यह अहसास हो रहा है कि दलाई लामा स्वतंत्रता नहीं मांग रहे हैं और उनकी इच्छा सिर्फ इतनी है कि चीन (तिब्बत को) सार्थक स्वायत्तता दे और तिब्बती बौद्ध संस्कृति का संरक्षण सुनिश्चित करे। उनकी यात्रा को लेकर चीन की आपत्ति के बारे में पूछे जाने पर दलाई लामा ने कहा क‍ि यह सामान्य है। चीन के लोग ऐतराज़ नहीं कर रहे हैं और अधिक संख्या में लोग तिब्बती बौद्ध धर्म में रुचि दिखा रहे हैं। उनके कुछ विद्वानों को अहसास हो रहा है कि तिब्बती बौद्ध धर्म बहुत वैज्ञानिक है। चीज़ें बदल रही हैं। दलाई लामा का असली नाम तेंज़िन ग्यात्सो है और उन्हें 1989 में शांति का नोबेल पुरस्कार मिला था।

 
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में दलाई लामा के 87वें जन्मदिन पर उन्हें शुभकामनाएं देने के लिए चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा था कि भारत को चीन के आंतरिक मामलों में दखल देने के लिए तिब्बत संबंधी मुद्दों का इस्तेमाल बंद करना चाहिए। वहीं भारत ने चीन की आलोचना को खारिज करते हुए कहा था कि दलाई लामा देश के सम्मानित अतिथि हैं। आध्यात्मिक नेता लद्दाख के लेह स्‍थ‍ित घर में एक महीने से ज्यादा समय बिता सकते हैं। इससे चीन और नाराज होगा क्योंकि पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध चल रहा है।इस दौरान उन्होंने श्रीलंका में मौजूदा संकट पर भी नाखुशी ज़ाहिर की। उन्होंने कहा क‍ि लोगों को मेरा मुख्य संदेश यही है कि हम सब भाई और बहन हैं और लड़ने का कोई मतलब नहीं है ।

 

 


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Content Writer

Tanuja

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