अफगान विदेश मंत्री ने कहा- शांति प्रक्रिया में भारत की अहम भूमिका चाहता है अफगानिस्तान

punjabkesari.in Wednesday, Mar 24, 2021 - 10:55 AM (IST)

 इंटरनेशनल डेस्कः भारत दौरे पर आए अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ आतमर ने मंगलवार को यहां कहा कि भारत अफगानिस्तान में शांति कायम करने से जुड़ी क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सहमति निर्माण प्रक्रिया का हिस्सा है और उनका देश उसमें नई दिल्ली के लिए बड़ी भूमिका चाह रहा है। उन्होंने मीडिया ब्रीफिंग में   कहा कि तालिबान के प्रति अपना रुख तय करना पूरी तरह भारत पर निर्भर करता है । उनका कहना था कि भारत की परिपक्व नीतियों में इस शर्त पर उस संगठन के साथ किसी भी प्रकार के संपर्क पर जोर हो सकता है कि इससे शांति प्रक्रिया का उद्देश्य पूरा हो।


अफगानिस्तान में शांति के लिए अशरफ गनी सरकार और तालिबान के बीच चल रही बातचीत के बीच विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमार भारत दौरे पर आए हैं। अतमार तीन-दिवसीय भारत दौरे पर 22 मार्च को दिल्ली पहुंचे। वह विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से पहले ही अफगान शांति प्रक्रिया समेत अहम मुद्दों पर चर्चा कर चुके हैं। आतमर ने कहा कि तुर्की में होने वाली आगामी अफगान शांति वार्ता में स्थायी एवं समावेशी संघर्षविराम पर जोर होगा तथा अफगान लोगों के लिए स्वीकार्य दृष्टिकोण के अनुकूल राजनीतिक बंदोबस्त पर बल दिया जाएगा तथा यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि इस बंदोबस्त के प्रति क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय गारंटी हो।


उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे लोग हैं जिन्होंने न केवल अफगानिस्तान बल्कि भारत को भी धमकी दी है। शांति प्रक्रिया में वैध साझेदार के रूप में, हम भारत की बड़ी भूमिका चाह रहे हैं। अफगानिस्तान में स्थायी शांति काफी हद तक राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहमति पर निर्भर करेगी, भारत उस क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सहमति निर्माण का हिस्सा है।'' भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में सुधार के संकेत के बारे में उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान तनाव कम करने और संघर्ष का समाधान करने के किसी भी राजनीतिक कदम का ‘पूरी तरह स्वागत' करता है। तालिबान के प्रति भारत के रुख के बारे में पूछे जाने पर आतमर ने कहा कि यह मुद्दा भारतीय नेताओं के साथ वार्ता के दौरान नहीं उठा। उन्होंने कहा, ‘‘ हमने तालिबान के प्रति भारत के किसी भी प्रकार के रुख पर चर्चा नहीं की। हमने यह फैसला पूरी तरह भारत पर छोड़ दिया है।''


अफगान विदेश मंत्री ने कहा कि जयशंकर ने उन्हें इस बात की पुष्टि की कि वह 30 मार्च को दुशांबे में होने वाली हार्ट ऑफ एशिया -इस्तांबुल प्रक्रिया की आगामी बैठक में हिस्सा लेंगे। हार्ट ऑफ एशिया इस्तांबुल प्रक्रिया अफगानिस्तान में शांति लाने के लिए दस साल पहले शुरू की गयी पहल है। अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों के विरूद्ध हिंसा पर आतमर ने कहा कि यह उनपर अत्याचार नहीं बल्कि देश में आमलोगों को निशाना बनाकर की जा रही हिंसा है। चाबहार बंदरगाह के सिलसिले में उन्होंने कहा कि यह अफगानिस्तान ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए बड़ा बदलाव होगा।  

 

 

 

 

 

 

 

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Tanuja

Recommended News

Related News