पांच राज्यों में चुनावों के बीच मोदी सरकार ने पेश किया बजट, लोक-लुभावनी योजनाओं से बनाई दूरी

punjabkesari.in Tuesday, Feb 01, 2022 - 07:12 PM (IST)

नेशनल डेस्कः उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं। इस बीच मोदी सरकार ने मंगलवार को अपने दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट पेश किया। यह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का भी चौथा बजट भाषण था। जिन राज्यों में चुनाव हैं, वहां के नेता मोदी सरकार से बड़ी आस लगाए हुए थे कि चुनावों को देखते हुए केंद्र सरकार बड़े ऐलान कर सकती है लेकिन माननीयों को मायूसी हाथ लगी। मोदी सरकार ने बजट में लोक लुभावनी योजनाओं से दूरी बनाई और अगले 25 सालों का विजन पेश किया।

आमतौर पर देखा गया है कि केंद्र सरकारें चुनावों के बीच बड़े-बड़े ऐलान करके जनता को लुभाने का प्रयास करती हैं लेकिन इस बजट में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला। सरकार ने किसानों, गांव, गरीब के लिए बड़े ऐलान किए तो वहीं रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए बजट में बड़ी घोषणाएं की गईं है। इसके अलावा पीएम गतिशक्ति योजना, इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए किसानों को डिजिटल बनाने के साथ-साथ ही डिजिटल करेंसी लाने का भी ऐलान किया गया है।

लुभावनी घोषणाएं नहीं होने से थमी खींचतान
पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को लेकर सियासत चरम पर होने के बावजूद बजट में लुभावनी घोषणाएं नहीं होने का असर सदन में भी नजर आया जहां पक्ष और विपक्ष के बीच राजनीतिक रस्साकशी की कोई नौबत ही नहीं आई। वित्तमंत्री की अहम घोषणाओं पर सत्ता पक्ष के मेज थपथपाने की गूंज और विपक्षी सदस्यों की एकरसता तोड़ने वाली हल्की-फुल्की टीका-टिप्पणियों के अलावा बजट पर सियासत का कोई रंग नजर नहीं आया।

नहीं हुआ हंगामा
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी सरीखे नेताओं ने पूरे बजट भाषण के दौरान एक क्षण के लिए भी अपना मास्क नहीं हटाया। भले ही बजट को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष सदन के बाहर सियासी तलवारें भांजे लेकिन लोकसभा में किसी राजनीतिक मुद्दे से इसे नहीं जोड़ा गया। डेढ घंटे के बजट भाषण के दौरान एक बार भी हंगामा नहीं होना इसका प्रमाण रहा।

राजधर्म की ओर इशारा
केंद्रीय वित्तमंत्री के बजट संबोधन में ज्ञान के अलावा ठोस कुछ नहीं होने जैसे बीच में हल्के फुल्के तंज कसते रहे सौगत राय ने आखिरकार वित्तमंत्री से पूछ ही डाला कि आयकर दाताओं की छूट का क्या हुआ? दिलचस्प यह रहा कि वित्तमंत्री ने अगले ही पल अपने जवाब में टैक्स छूट नहीं देने की गुंजाइश को राजधर्म से जोड़ दिया। निर्मला सीतारमण ने महाभारत के शांतिपर्व के 72वें अध्याय के 11वें श्लोक का उल्लेख किया जिसका सार है कि राष्ट्र का राजधर्म किसी भी विधि से जनता का कुशलक्षेम और कल्याण है।

विपक्ष को सम्‍मान
केंद्र सरकार का मकसद इस बजट के माध्यम से लोगों का कल्याण करते हुए राजधर्म निभाना है। राजधर्म के इस संदेश के बाद माननीयों को यह समझते देर न लगी कि वित्तमंत्री की झोली से राहतों की कोई फुहार नहीं निकलेगी। वित्तमंत्री का संबोधन खत्म होने के बाद पीएम मोदी ने सबसे पहले उनके पास जाकर उन्हें बधाई दी और फिर विपक्षी बेंच की ओर आकर प्रधानमंत्री तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, सुदीप बंधोपाध्याय, कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी से लेकर फारुख अब्दुल्ला सरीखे नेताओं से रूबरू हुए।  


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Content Writer

Yaspal

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