आर्थिक गतिविधियों में मई के आखिर से दिख रहा है सुधार, साइबर हमलों का बढ़ा जोखिम: दास

punjabkesari.in Thursday, Jul 01, 2021 - 08:34 PM (IST)

बिजनेस डेस्क: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का देश पर गंभीर असर पड़ा लेकिन मई के आखिर से ठंडी पड़ी आर्थिक गतिविधियों में तेजी आनी शुरू हो गयी है। उन्होंने अर्थव्यवस्था के समक्ष जोखिम के रूप में आंकड़ों में सेंध और साइबर हमलों के साथ वैश्विक स्तर पर जिंसों के दाम में तेजी से कारणों को लेकर आगाह किया।

दास ने आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट की भूमिका में लिखा है, ‘‘जो आर्थिक पुनरूद्धार 2020-21 की दूसरी छमाही में शुरू हुआ था, उस पर दूसरी लहर के कारण इस वर्ष अप्रैल और मई में काफी प्रतिकूल असर पड़ा। लेकिन जिस तेजी से संक्रमण की दर बढ़ी, उसमें उतनी ही तीव्रता से कमी आयी और इसके साथ मई के आखिर तथा जून की शुरूआत से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आनी शुरू हुई है।’’

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) मार्च 2021 में छह महीने पूर्व के ही स्तर पर रही। लेकिन बहुत संभव परिदृश्य के हिसाब से मार्च 2022 में एनपीए का अनुपात (कर्ज के) 9.8 प्रतिशत तक जा सकता है।’’ दास ने कहा कि वित्तीय संस्थानों के लेखा-जोखा और कामकाज पर उतना प्रतिकूल असर नहीं पड़ा, जितना की पूर्व में आशंका थी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि नियामकीय स्तर पर जो राहत दिये गये हैं, उसके प्रभाव सामने के आने के बाद ही तस्वीर पूरी तरह से साफ होगी।

उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय संस्थानों में पूंजी और नकदी की स्थिति यथोचित रूप से मजबूत बनी हुई है और भविष्य के किसी भी झटके को सहने में सक्षम है। दास ने कहा कि वित्तीय प्रणाली पुनरूद्धार की मदद के लिये पूरी तरह से तैयार है लेकिन हमारी प्राथमिकता वित्तीय स्थिरता को बनाये और संरक्षित रखना है। उन्होंने कहा कि घरेलू वित्तीय बाजारों को महामारी के तेजी से कम होने और टीकाकरण अभियान में गति आने से भी बल मिला है। इससे यह उम्मीद बढ़ी है कि पाबंदियों में ढील के साथ अर्थव्यवस्था पटरी पर तेजी से लौटेगी।

दास ने कहा, ‘‘...हालांकि पुनरूद्धार जारी है, लेकिन नये जोखिम भी उत्पन्न हुए हैं। इसमें भविष्य में आने वाली महामारी की लहर की आशंका से शुरूआती चरण के पुनरूद्धार को जोखिम, अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिंसों के दाम और मुद्रास्फीति दबाव, अनिश्चितता के बीच वैश्विक घटनाओं का असर तथा आंकड़ों में सेंध तथा साइबर हमले के बढ़ते मामले शामिल हैं।’’

​​​गवर्नर ने इस बात पर जोर दिया कि सतत नीतिगत समर्थन के साथ वित्तीय संस्थानों में पूंजी और नकदी की मजबूत स्थिति जोखिम से निपटने के लिये महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रणाली अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये उपयुक्त परिवेश तैयार करने में अगुवा हो सकती हैं। मजबूत पूंजी स्थिति, बेहतर संचालन व्यवस्था और वित्तीय मध्यस्थता में दक्षता इसके लिये जरूरी बुनियाद हैं।


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Content Editor

rajesh kumar

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