कोरोना वैक्सीन पर उठे सवाल, ICMR बोला- किया जा रहा है अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन

punjabkesari.in Saturday, Jul 04, 2020 - 08:58 PM (IST)

नई दिल्लीः आईसीएमआर की 15 अगस्त तक कोविड-19 का टीका लाने की योजना की खबरों के बाद विशेषज्ञों ने दवा बनाने की प्रक्रिया में हड़बड़ी से बचने की सलाह दी है जिस पर आईसीएमआर ने शनिवार को कहा कि वह महामारी के लिए तेजी से टीका बनाने के वैश्विक रूप से स्वीकार्य सभी नियमों के अनुरूप काम कर रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा कि उसके महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव का, क्लीनिकल परीक्षण स्थलों के प्रमुख अन्वेषकों को लिखे पत्र का आशय किसी भी आवश्यक प्रक्रिया को छोड़े बिना अनावश्यक लाल फीताशाही को कम करना तथा प्रतिभागियों की भर्ती बढ़ाना है।

भार्गव ने दो जुलाई को चयनित चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों के प्रमुख अन्वेषकों को भारत बायोटेक के साथ साझेदारी में विकसित किये जा रहे टीके ‘कोवेक्सिन' के लिए मनुष्य के ऊपर परीक्षण की मंजूरी जल्द से जल्द देने को कहा है। उसने कहा कि दुनियाभर में इस तरह के विकसित किये जा रहे सभी अन्य टीकों पर भी काम तेज कर दिया गया है। आईसीएमआर ने कहा कि भारत के औषधि महानियंत्रक ने क्लीनिकल परीक्षणों से पूर्व के अध्ययनों से उपलब्ध आंकड़ों की गहन पड़ताल पर आधारित ‘कोवेक्सिन' के मानव परीक्षण के चरण 1 और 2 के लिए मंजूरी दी है।
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आईसीएमआर ने कहा कि भारत के औषधि महानियंत्रक ने क्लीनिकल परीक्षणों से पूर्व के अध्ययनों से उपलब्ध आंकड़ों की गहन पड़ताल पर आधारित ‘कोवेक्सिन' के मानव परीक्षण के चरण 1 और 2 के लिए मंजूरी दी है। आईसीएमआर ने कहा कि नये स्वदेश निर्मित जांच किट को त्वरित मंजूरी देने या कोविड-19 की प्रभावशाली दवाओं को भारतीय बाजार में उतारने में लाल फीताशाही को रोड़ा नहीं बनने देने के लिए स्वदेशी टीका बनाने की प्रक्रिया को भी, फाइलें धीरे-धीरे बढ़ने के चलन से अलग रखा गया है।

आईसीएमआर ने एक बयान में कहा, ‘‘इन चरणों को जल्द से जल्द पूरा करने का मकसद है कि बिना देरी के जनसंख्या आधारित परीक्षण किये जा सकें।'' बयान में कहा गया कि व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य हित में आईसीएमआर के लिए एक प्रभावशाली स्वदेशी टीके के नैदानिक परीक्षण को तेज गति प्रदान करना महत्वपूर्ण है। उसने कहा, ‘‘आईसीएमआर की प्रक्रिया पूरी तरह महामारी के लिए टीका बनाने की प्रक्रिया को तेज करने के वैश्विक रूप से स्वीकार्य नियमों के अनुरूप है जिसमें मनुष्य और पशुओं पर परीक्षण समानांतर रूप से चल सकता है।''


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Yaspal

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