कुलभूषण जाधव केस में इंटरनेशनल कोर्ट से PAK को करारा झटका

punjabkesari.in Thursday, May 18, 2017 - 04:30 PM (IST)

नई दिल्ली/हेग: भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव मामले में आज पाकिस्तान को इंटरनेशनल कोर्ट से उस समय करार झटका लगा जब ICJ ने अपने अंतिम फैसले तक जाधव की फांसी पर रोक लगी दी। जस्टिस रोनी अब्राहम ने फैसला सुनाते हुए कहा कि भारत ने वियना संधि के तहत अपील की है। वियना संधि के तहत पाकिस्तान को जाधव तक काउंसल एक्सेस देना चाहिए था। ICJ ने कहा कि जाधव की गिरफ्तारी एक विवादित मुद्दा है। जस्टिस अब्राहम ने कहा कि जाधव को जासूस बताने वाला पाकिस्तान का दावा नहीं माना जा सकता। पाकिस्तान ने अदालत में जो भी दलीलें दीं, वे भारत के तर्क के आगे कहीं नहीं ठहरतीं। दोनों ही देश मानते है कि जाधव भारतीय नागरिक है। उन्होंने साथ ही कहा कि पाकिस्तान जाधव के खिलाफ आगे कोई कार्रवाई ना करे और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करे।

 


भारत के वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने रखा पक्ष
भारत की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने पक्ष रखा वहीँ पाकिस्तान की तरफ से ब्रिटिश वकील खवर कुरैशी ने जिरह की थी। भारत का पक्ष है कि पाकिस्तान ने अवैध तरीके से गिरफ्तारी की और अन्यायपुर्ण तरीके से मुकद्दमा चलाया। साल्वे ने कहा, ‘’ट्रायल की शुरुआत कुलभूषण जाधव को बिना उसके अधिकारी की जानकारी दिए शुरू की गई। विएना संधि के तहत भारत को काउंसलर एक्सेस भी नहीं दिया गया। आरोपी को न्यायिक मदद भी नहीं दी गई।’’ साथ ही पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट में कुलभूषण पर चले केस को न्याय का मजाक बताया था।

पाक की दलील
पाकिस्तान की दलील थी कि ये मामला अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट का नहीं है, भारत इसे राजनीति का रंगमंच बना रहा है। पाकिस्तान ने दलील देते हुए कहा कि उसने विएना संधि का कोई उल्लंघन नहीं किया। जाधव ने कुद कबूला है कि वह एक रॉ एजेंट है।

पाकिस्तान ने सुनाई फांसी की सजा

कुलभूषण जाधव मुंबई के रहने वाले हैं और नौसेना से रिटायर होकर ईरान में अपना व्यापार करते थे। तालिबान ने उन्हें ईरान से अगवा किया और फिर पाकिस्तान को सौंपा था लेकिन पाकिस्तान का दावा है कि जाधव को बलूचिस्तान से तीन मार्च 2016 को गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तान ने जाधव को फांसी की सजा सुनाई है। अगर आज भारत सफल रहता है तो भारत को काउंसिल एक्सेस मिल जाएगी जिससे कुलभूषण केस में मदद मिल सकती है। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान को उम्मीद है कि फैसला उसके हक में आएगा।


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