ऑफ द रिकॉर्डः नेपाल को साधने के लिए आई.बी., रॉ चीफ ने काठमांडू में डाला डेरा

punjabkesari.in Friday, Jul 17, 2020 - 06:02 AM (IST)

नई दिल्लीः लद्दाख में गलवान घाटी को लेकर चीन के साथ दो-दो हाथ हो रही केंद्र सरकार मित्र पड़ोसी देश नेपाल में ताजा घटनाक्रम पर बेहद चिंतित है। भारत ने अपने सुरक्षा एवं गुप्तचर प्रतिष्ठान के दो शीर्ष सुरक्षा अधिकारी नेपाल भेजे हैं जो वहां भारत-विरोधी भावनाएं ठंडी करने के लिए गत चार-पांच दिनों से काठमांडू में डेरा डाले हुए हैं। 
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नेपाली प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली का राजनीतिक भविष्य तय करने के लिए होने वाली सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की शक्तिशाली स्थायी समिति की बैठक से पहले-पहले ये अधिकारी वहां भारत के पक्ष में समर्थन मजबूत कर लेना चाहते थे। रिसर्च एंड एनालसिस विंग (रॉ) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल व इंटैलीजैंस ब्यूरो (आई.बी.) के चीफ अरविंद कुमार इन चार-पांच दिनों में नेपाल के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से बातचीत करने में संलग्न रहे। इन दोनों अधिकारियों ने वहां से केंद्र सरकार को सूचित किया कि एक के बाद एक नया मुद्दा उठाने वाले ओली चीनी राजदूत के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं। 
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ओली ने भारत को खिझाने के लिए कुछ दिन पहले ही भगवान राम के संबंध में विवादास्पद बयान दिया है। इन दोनों शीर्ष अधिकारियों ने हालात का जायजा लेकर जो निष्कर्ष निकाला है, वह यह है कि चीन नेपाल को विदेशी और घरेलू मुद्दों पर अपने अनुसार चला रहा है। प्रचंड समेत वामदलों के नेताओं में से कोई भी ओली को भारत-विरोधी रुख अपनाने से रोक नहीं पाया है। 
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चूंकि ओली उच्च स्तर पर भी भारतीय राजनयिक नेतृत्व से बातचीत करने के लिए राजी नहीं हैं, ऐसे में इन अधिकारियों को पीछे के दरवाजे से बातचीत चलाने का रास्ता निकालने को कहा गया है। भारतीय भूमि लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल के मानचित्र में शामिल करने के लिए नेपाली संविधान संशोधन से हुए नुक्सान के मद्देनजर दोनों अधिकारियों ने वहां राजनीतिक दलों के नेताओं से बातचीत की है। इन दोनों अधिकारियों की बातचीत पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पूरी नजर बनाए हुए हैं। नेपाल के मानचित्र प्रकरण में भारत सरकार उसे रोकने के लिए ठीक समय पर समुचित कदम नहीं उठा सकी, इसलिए उससे हुए नुक्सान की भरपाई के लिए वह सक्रियता से जुटी हुई है।   
 
 


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Pardeep

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