कोरोना संकटः कैसे होगा संसद का मानसून सत्र, लोकसभा अध्यक्ष ने की बैठक

punjabkesari.in Tuesday, Jun 09, 2020 - 07:48 PM (IST)

नई दिल्लीः कोविड-19 के कारण उत्पन्न स्थिति के कारण संसद के नियमित सत्र के आयोजन पर सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि सामाजिक दूरी के मानकों को पालन करते हुए सभी सांसदों को समाहित करने के लिए किसी भी सरकारी इमारत की क्षमता को पर्याप्त नहीं पाया जा रहा है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने को बताया कि न तो संसद के केंद्रीय कक्ष और न ही विज्ञान भवन का हॉल में कम से कम एक मीटर की दूरी बनाए रखते हुए सभी सांसदों को बैठाने के लिए स्थान है। समझा जाता है कि दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारी संसद के आभासी सत्र या हाइब्रिड सत्र आयोजित करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। हाइब्रिड सत्र के तहत कुछ सांसद तो संसद में स्वयं उपस्थित रहते हैं जबकि शेष सांसद आभासी माध्यम से हिस्सा लेते हैं।

सूत्रों ने बताया कि एक ऐसे भी विकल्प पर विचार किया जा रहा है कि सामाजिक दूरी के मानकों का पालन करते हुए ऐसे सदस्यों की सूची तैयार की जाए जिनकी सदन के कामकाज के विभिन्न विषयों में दैनिक आधार पर जरूरत है। संसद का मानसून सत्र आमतौर पर जुलाई महीने में आयोजित किया जाता है। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा बुलाई गई बैठक में समझा जाता है कि दोनों सदनों के महासचिवों ने पीठासीन अधिकारियों को बताया कि न तो संसद का केंद्रीय कक्ष और न ही विज्ञान भवन के हॉल में इतनी क्षमता है कि इस स्थिति में सभी सांसद वहां एक साथ बैठ सकें।

यह बैठक संसद के आगामी मानसून सत्र आयोजित करने के विभिन्न विकल्पों पर विचार करने के लिये बुलाई गई थी। नायडू और बिरला को जानकारी देते हुए महासचिवों ने दोनों सदनों के चैम्बरों, संसद के केंद्रीय कक्ष और विज्ञान भवन के हॉल की बैठक की क्षमता के मूल्यांकन के परिणामों की जानकारी दी। उन्हें बताया गया कि सामाजिक दूरी के मानदंडों को पूरा करते हुए राज्यसभा के चैम्बर में 60 सदस्यों को बैठने की व्यवस्था की जा सकती है जबकि लोकसभा के चैम्बर और केंद्रीय कक्ष 100 से अधिक सांसदों के बैठने की व्यवस्था के लिये पर्याप्त होगा। उन्होंने कहा कि अगर सदस्यों के बैठने की व्यवस्था गैलरी में की जाए, तब भी जरूरी सीट से कम की व्यवस्था हो पाएगी।

नायडू और बिरला ने दो शीर्ष अधिकारियों को कहा कि वे दोनों सदनों की कार्यवाही में सदस्यों के हिस्सा लेने के लिये आभासी माध्यम से व्यवस्था करने से जुड़े विभिन्न विषयों की विस्तार से समीक्षा करें । इसमें आभासी माध्यम से सदस्यों के हिस्सा लेने से जुड़े़ विषय शामिल हैं और जो दोनों सदनों के कामकाज के नियमों एवं तकनीकी पहलुओं के अनुरूप हों। संसदीय समितियों की आभासी बैठकों के संबंध में कहा गया कि ऐसी बैठकों के संबंध में नियमों में बदलाव के लिये संसद के दोनों सदनों में एक प्रस्ताव लाना जरूरी होगा।

 


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Yaspal

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