अस्परताल बन गए धंधा... माफिया लिंक का जिक्र कर SC बोला- बर्दाश्त नहीं करेंगे

punjabkesari.in Friday, Aug 27, 2021 - 10:23 PM (IST)

नेशनल डेस्कः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा, ‘‘एक के बाद एक मामलों में हम डेवलपर्स, योजना प्राधिकरणों और कानून लागू करने वाले प्राधिकारों के बीच बड़े माफिया गठजोड़ देख रहे हैं।’’ न्यायालय ने गुजरात सरकार की एक अधिसूचना को स्थगित करते हुए यह कड़ी टिप्पणी की जिसमें अस्पतालों के वास्ते भवन उप-नियमों के उल्लंघन को ठीक करने के लिए समय सीमा तीन महीने बढ़ा दी गयी थी।

शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार के वकील से कहा कि इस अधिसूचना के कारण उक्त अवधि के दौरान राज्य में कोई भवन नियंत्रण नियमन नहीं है। न्यायालय ने कहा, ‘‘हम जो कुछ भी कर रहे हैं, उन उल्लंघनों की अनदेखी करके हम खतरनाक प्रतिष्ठानों को जारी रखने की अनुमति दे रहे हैं। हम समाज में सभी बुराइयों को ठीक नहीं कर सकते हैं, लेकिन हमें एक न्यायाधीश के रूप में कानून के शासन को बनाए रखने के लिए जो करना चाहिए, वह करेंगे।’’

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, ‘‘लोगों को महामारी से बचाने के प्रयास में हम लोगों को आग से मार रहे हैं। भवन उपयोग की अनुमति के साथ भी, यदि दो कमरों की जगह को अस्पताल में परिवर्तित किया जाता है, तो भी अनुमति आवश्यक है। हम उन लोगों की जान जोखिम में नहीं डाल सकते जिन्हें सुरक्षा की जरूरत है।’’ याचिका में भवन अनुमति के लिए मंजूरी को लेकर समय देने का अनुरोध किया गया।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आठ जुलाई की अधिसूचना के परिणामस्वरूप, राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि जिन भवनों के पास वैध भवन उपयोग की अनुमति नहीं है, या जो इसका उल्लंघन कर रहे हैं, या उपयोग में परिवर्तन, मार्जिन जैसे नियमों का उल्लंघन करते हैं, वे ‘‘गुजरात महामारी कोविड-19 विनियम, 2020 के लागू होने की अंतिम तिथि से तीन महीने की अवधि के लिए जीडीसीआर का अनुपालन करने के दायित्व से मुक्त होंगे।’’

पीठ ने कहा कि हालांकि अधिसूचना में कहा गया है कि इमारतों को तीन महीने के भीतर नियमों का पालन करने के लिए तुरंत सुधारात्मक उपाय करना होगा। साथ ही राज्य के सभी स्थानीय निकायों को कोई जबरदस्ती नहीं करने के निर्देश जारी किए गए हैं। पीठ ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि गुजरात राज्य कानून के शासन का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाएगा।’’

न्यायमूर्ति शाह ने कहा, ‘‘एक छोटे से आईसीयू रूम में करीब 7-8 लोग भर्ती हैं। हमने कोविड-10 की दूसरी लहर के दौरान आपात स्थिति को ध्यान में रखते हुए आदेश पारित नहीं किया। अगर हमने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दिशा-निर्देशों को सघन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) पर लागू किया होता, तो गुजरात के 80 प्रतिशत अस्पताल बंद हो जाते।’’ न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि सरकार अब सामान्य विकास नियंत्रण विनियम (जीडीसीआर) और गुजरात नगर नियोजन तथा शहरी विकास कानून के वैधानिक प्रावधानों को निलंबित करते हुए एक अधिसूचना लेकर आई है।

शीर्ष अदालत ने मेडिकल एसोसिएशन की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह उच्च न्यायालय के तर्कसंगत आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं है। शीर्ष अदालत का आदेश कोविड -19 रोगियों के उचित उपचार और अस्पतालों में शवों के सम्मानजनक निस्तारण पर एक स्वत: संज्ञान लिए गए मामले की सुनवाई पर आया है। न्यायालय ने पिछले साल अस्पतालों में आग की घटनाओं के बारे में संज्ञान लिया था।


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Content Writer

Yaspal

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