गृह मंत्रालय का नया प्रस्ताव, SP-DIG रहते केंद्र में नहीं किया काम... तो बाद में नहीं मिलेगा यह बड़ा फायदा

punjabkesari.in Sunday, Apr 17, 2022 - 08:57 AM (IST)

नेशनल डेस्क: सिविल सेवा अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्त को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच चल रहे विवाद के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय एक और ऐसा प्रस्ताव लेकर आया है जो राज्य सरकारों के साथ उसके विवाद को बढ़ा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्रालय एक प्रस्ताव लेकर आया है जिसके तहत भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के जो अधिकारी पुलिस अधीक्षक (SP) या उप महानिदेशक (DIG) स्तर पर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नहीं आएंगे उनकी नौकरी के बाकी सालों में केंद्रीय नियुक्ति पर रोक लगाई जा सकती है।

 

इससे पहले केंद्र सरकार ने अखिल भारतीय सेवा नियमों में बदलाव के लिए राज्यों को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें केंद्र सरकार को किसी भी IAS, IPS या भारतीय वन सेवा के अधिकारी को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुलाने के लिए राज्य की मंजूरी की जरूरत नहीं रह जाएगी।

 

नए प्रस्ताव में क्या
सूत्रों के अनुसार, विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और केंद्रीय पुलिस संगठनों में इन दोनों स्तरों पर 50 प्रतिशत से अधिक रिक्तियां हैं। वर्तमान में, नियम कहते हैं कि यदि कोई आईपीएस अधिकारी तीन साल तक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर महानिरीक्षक (IG) स्तर तक नहीं बिताता है, तो उसे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए पैनल में नहीं रखा जाएगा। गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मौजूदा नियमों के चलते ज्यादातर आईपीएस अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आईजी स्तर पर ही आते हैं, जिससे SP और DIG स्तर पर भारी कमी हो जाती है। अधिकांश राज्य केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए SP और डीआईजी को राहत नहीं देते क्योंकि उनके पास इन स्तरों पर पर्याप्त रिक्तियां हैं। चूंकि आईजी और उससे ऊपर के स्तर पर कम पद हैं, इसलिए इन अधिकारियों को केंद्र में भेजा जाता है।

 

आईपीएस अधिकारियों की कमी का कारण?
एक रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा अपने लागत में कटौती के उपायों के तहत नए आईपीएस बैचों के आकार को कम करने के फैसले के कारण यह हालात पैदा हुए हैं। बता दें कि, 80-90 नए अधिकारियों के बैचों को छोटा करके साल 1999-2000 में में IPS अधिकारियों के बैचों को काटकर 35-40 अधिकारियों का कर दिया गया। दूसरी ओर, हर साल औसतन लगभग 85 आईपीएस अधिकारी सेवानिवृत्त होते हैं।

 

2009 में 4,000 से अधिक IPS अधिकारियों की स्वीकृत संख्या के मुकाबले 1,600 से अधिक रिक्तियां थीं। इसके बाद तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने पहले के नियम को बहाल करके इस गलती को दूर करने की कोशिश की। इसके कारण साल 2020 में आईपीएस बैचों की संख्या बढ़कर 150 तक पहुंच गई। 1 जनवरी, 2020 तक, 4,982 की स्वीकृत संख्या के मुकाबले 908 रिक्तियां थीं। इससे पहले, बिहार जैसी एनडीए सरकारों सहित अधिकांश राज्यों ने आईएएस और आईपीएस सेवा नियमों को बदलने के केंद्र के प्रस्ताव की आलोचना करते हुए इसे संविधान के संघीय ढांचे पर हमला बताया था।


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Content Writer

Seema Sharma

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