हाईकोर्ट ने सोमवार तक धार्मिक पोशाक पर लगाई रोक, 14 फरवरी से कर्नाटक में खुलेंगे स्कूल...फैसले को SC में चुनौती

punjabkesari.in Friday, Feb 11, 2022 - 08:47 AM (IST)

नेशनल डेस्क: हिजाब मामले की सुनवाई कर रही कर्नाटक की पूर्ण पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तारीख निर्धारित की है। हिजाब मामले की सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस जे एम काजी और जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित की तीन सदस्यीय पीठ बुधवार को गठित की गई। तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि वह चाहती है कि मामले को जल्द से जल्द सुलझाया जाए लेकिन उस समय तक शांति और सद्भावना बनाए रखनी चाहिए।

 

14 फरवरी से शुरू होंगी 9वीं- 10वीं की कक्षा
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बी सी नागेश ने कहा कि नौवीं और दसवीं की कक्षाएं अगले हफ्ते से शुरू होंगी। उन्होंने ट्वीट किया,‘‘ यूनीफॉर्म के जुड़े नियमों को चुनौती देने वाली कुछ छात्रों की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कक्षाएं दोबारा शुरू करने के निर्देश दिए हैं। इसी की पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया कि नौवीं और दसवीं की नियमित कक्षाएं 14 फरवरी से शुरू होंगी।'' बोम्मई ने कहा, ‘‘तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा है कि वे दैनिक आधार पर मामले की सुनवाई करेंगे और सभी को शांति बनाए रखनी चाहिए और आदेश आने तक स्कूल-कॉलेजों में धार्मिक कपड़े नहीं पहनना चाहिए। उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा कि बैठक में स्कूल और कॉलेज परिसर में शांति बनाए रखने और छात्रों के लिए एक साथ पढ़ाई का माहौल बनाने तथा कानून व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से चर्चा की गई। बोम्मई ने कहा, ‘‘यह तय किया गया है कि 10वीं कक्षा तक की हाई स्कूल की कक्षाएं सोमवार से शुरू होंगी और दूसरे चरण में महाविद्यालय और डिग्री कॉलेज खुलेंगे।

 

क्या कहा हाईकोर्ट ने
कर्नाटक हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने हिजाब पहनकर कक्षाओं में जाने की अनुमति देने को लेकर दायर याचिकाओं पर अंतरिम राहत देने से गुरुवार को इनकार कर दिया और मामले की सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी। कर्नाटकहाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हम इस मामले की जल्द से जल्द सुनवाई करने को तैयार हैं, लेकिन हमारा मानना है कि शांति और सौहार्द बनाए रखा जाना चाहिए। जब तक इस पर फैसला न हो जाए, आपको धार्मिक वस्त्र पहनने पर जोर नहीं देना चाहिए, जो आपके लिए उपयुक्त भी नहीं है।'' याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता देवदत्त कामत ने मुख्य न्यायाधीश की व्यवस्था पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह उनके अधिकारों को स्थगित करने के बराबर होगा। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया कि यह कुछ दिनों की बात है और उन्हें न्यायालय को सहयोग करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम जब तक इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, तब तक हम सभी को धार्मिक क्रियाकलाप करने से रोक रहे हैं।

 

सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती
 कर्नाटक में हिजाब विवाद पर सप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई, जिसमें संविधान में मौलिक अधिकार के रूप में धर्म का पालन करने के अधिकार के मुद्दे को उठाया गया है। यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास और पत्रकारिता के एक छात्र ने यह याचिका दायर की है। इसमे कहा गया है कि मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है और जिस तरह कई राज्यों में घटनाएं हो रही हैं इसके और आगे फैलने की संभावना है ऐसे में यह बेहतर और उचित होगा कि शीर्ष अदालत मुद्दे का संज्ञान ले। याचिका में कहा गया है कि अलग-अलग राज्यों में विभिन्न उच्च न्यायालय परस्पर विरोधी आदेश पारित कर सकते हैं। इसमें कहा गया, “हर किसी को अपनी पसंद के कपड़े/पगड़ी-टोपी आदि पहनने और अपने धर्म, अपने रीति-रिवाजों व परंपराओं का पालन करने का अधिकार है।


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Content Writer

Seema Sharma

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