स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने WHO की मुख्य वैज्ञानिक से मुलाकात की, कोवैक्सीन की मंजूरी पर हुई चर्चा
punjabkesari.in Thursday, Aug 12, 2021 - 07:40 PM (IST)
नेशनल डेस्क: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बृहस्पतिवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन से मुलाकात की और भारत बायोटेक के कोविड-19 रोधी टीके कोवैक्सीन के लिए वैश्विक स्वास्थ्य निकाय की मंजूरी पर चर्चा की। मांडविया ने ट्वीट किया, ‘‘डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन के साथ मुलाकात की। भारत बायोटेक के कोविड-19 रोधी टीके कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की मंजूरी के संबंध में सार्थक चर्चा हुई। डॉ सौम्या ने कोविड-19 की रोकथाम में भारत के प्रयासों की सराहना की।’’
Held a meeting with Dr Soumya Swaminathan, Chief Scientist of @WHO
— Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) August 12, 2021
We had a productive discussion on WHO’s approval of @BharatBiotech’s COVAXIN.@DoctorSoumya also appreciated India’s efforts for the containment of #COVID19 pic.twitter.com/5gnAOQkeT3
राज्यसभा को पिछले महीने बताया गया था कि भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग सूची (ईयूएल) में शामिल कराने के लिए नौ जुलाई को सारे जरूरी दस्तावेज जमा कर दिए थे और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने समीक्षा प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह पूछे जाने पर कि क्या यह सरकार के संज्ञान में आया है कि भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले कोवैक्सीन टीके को कई देशों द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है, स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने लिखित जवाब में कहा था कि सरकार को पता है कि वर्तमान में कोवैक्सीन डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची का हिस्सा नहीं है।
टीका 78 प्रतिशत तक कारगर
इस मुद्दे के समाधान के लिए सरकार के प्रयासों के बारे में प्रवीण पवार ने राज्यसभा को बताया कि कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग सूची में शामिल कराने के लिए आवश्यक सभी दस्तावेज भारत बायोटेक द्वारा डब्ल्यूएचओ को नौ जुलाई तक जमा कर दिए गए हैं और एजेंसी द्वारा समीक्षा प्रक्रिया शुरू हो गई है। राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ साझेदारी में भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सीन को तीन जनवरी को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी मिली थी। बाद में परीक्षण के परिणामों से पता चला कि टीका 78 प्रतिशत तक कारगर है।