ग्रामीण सड़कों में नारियल की चटाइयों का इस्तेमाल करेगी सरकार

punjabkesari.in Wednesday, May 20, 2020 - 05:35 PM (IST)

नई दिल्लीः सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई-तीन) के तीसरे चरण में ग्रामीण सड़कों के निर्माण में नारियल रेशे की जालीदार चटाइयों का इस्तेमाल करेगी जो मिट्टी में रह कर भी सड़ती गलती नहीं हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालतय के तहत राष्ट्रीय ग्रामीण संरचना विकास एजेंसी की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि नारियल रेशे से की जालीदार चटाइयों का इस्तेमाल पीएमजीएसवाई-तीन में ग्रामीण सड़कों में किया जाएगा।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बयान में कहा, ‘‘यह काफी उल्लेखनीय घटनाक्रम है। अब हम सड़क निर्माण में कयर जियो टेक्सटाइल (नारियल की जालीदार चटाइयों) का सफलता से इस्तेमाल कर रहे हैं। कोविड-19 के संकट के दौर में इस फैसले से नारियल रेशा उद्योग को काफी प्रोत्साहन मिलेगा।'' इस फैसले से कयर जियो टेक्सटाइल के लिए एक बड़ा बाजार खुल सकेगा।

सड़क निर्माण के लिए पीएमजीएसवाई के नए प्रौद्योगिकी दिशानिर्देशों के अनुसार प्रत्येक बैच के प्रस्तावों में कम से कम 15 प्रतिशत सड़क नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर बनाई जानी चहिए। इसमें से पांच प्रतिशत सड़क का निर्माण भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) द्वारा मान्यता प्राप्त प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर किया जाना चाहिए। आईआरसी ने अब ग्रामीण सड़कों के निर्माण के लिए नारियल की जालियों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। इन निर्देशों के अनुसार पीएमजीएसवाई-तीन में पांच प्रतिशत ग्रामीण सड़कों के निर्माण में नारियल के टाट का इस्तेमाल किया जागा।

आंध्र प्रदेश में 164 किलोमीटर सड़क , गुजरात में 151 किलोमीटर, केरल में 71 किलोमीटर, महाराष्ट्र में 328 किलोमीटर, ओड़िशा में 470 किलोमीटर, तमिलनाडु में 369 किलोमीटर और तेलंगाना में 121 किलोमीटर सड़कों का निर्माण इस प्रौद्योगिकी के जरिए होगा। कुल मिलाकर सात राज्यों में 1,674 किलोमीटर सड़कों का निर्माण इस प्रौद्योगिकी के जरिए होगा। इसके लिए एक करोड़ वर्गमीटर नारियल की जालियों की जरूरत होगी। जिसकी अनुमानित लागत 70 करोड़ रुपये बैठेगी।

 


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Yaspal

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