हैदराबाद एनकाउंटरः दिल्ली HC के पूर्व जज बोले, पुलिस ने जल्दबाजी में बना दी स्टोरी, मुझे नहीं आई पंस

punjabkesari.in Sunday, Dec 08, 2019 - 04:29 PM (IST)

नई दिल्ली: हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या के आरोपियों के कथित मुठभेड़ में मारे जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर एस सोढी का कहना है कि किसी भी मामले में आरोपियों की सुरक्षा करना पुलिस का धर्म होता है और इस मुल्क में ‘तालिबानी इंसाफ' के लिए कोई जगह नहीं है। न्यायमूर्ति सोढी ने कहा कि अदालत ने चार आरोपियों को आपकी (पुलिस की) हिरासत में भेजा था, तो उनकी हिफाजत करना, उनकी देखभाल करना आपका (पुलिस का) धर्म है।

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यह कह देना कि वे भाग रहे थे। वे भाग कैसे सकते हैं? आप 15 हैं और वे चार हैं। आपने कहा कि उन्होंने पत्थर फेंके तो आप 15 आदमी थे, क्या आप उन्हें पकड़ नहीं सकते थे? पत्थर से अगर आपको चोट आई तो पत्थर मारने वाला आदमी कितनी दूर होगा। यह कहानी थोड़ी जल्दबाजी में बना दी। आराम से बनाते तो थोड़ी ठीक बनती।'' उन्होंने कहा कि यह कहानी मुझे जंचती नहीं है। यह हिरासत में की गई हत्या है। कानून कहता है कि जांच करो और जांच निष्पक्ष होनी चाहिए। यह जांच भले ही इनके खिलाफ नहीं हो, लेकिन यह चीज कैसे हुई, कहां से शुरू हुई, सब कुछ जांच में सामने आ जाएगा। इसलिए जांच होनी बेहद जरूरी है।'' न्यायमूर्ति ने कहा कि दूसरी बात, यह किसने कह दिया कि आरोपियों ने बलात्कार किया था। यह तो पुलिस कह रही है और आरोपियों ने यह पुलिस के सामने ही कहा।

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पुलिस की हिरासत में किसी से भी, कोई भी जुर्म कबूल कराया जा सकता है। अभी तो यह साबित नहीं हुआ था कि उन्होंने बलात्कार किया था। वे सभी कम उम्र के थे। वे भी किसी के बच्चे थे। आपने उनकी जांच कर ली, मुकद्दमा चला लिया और मार भी दिया। उन्होंने कहा कहा कि पुलिस अदालती कार्यवाही को अपने हाथ में ले ले तो उसका कदम कभी जायज नहीं हो सकता है। अगर पुलिस कानून के खिलाफ जाएगी तो वह भी वैसी ही मुल्जिम है जैसे वे (आरोपी) मुल्जिम हैं। उसका काम सिर्फ जांच करना है और जांच में मिले तथ्यों को अदालत के सामने रखना है। इसमें प्रतिवादी को भी बता दिया जाता है कि आपके खिलाफ ये आरोप हैं और आपको अपनी सफाई में कुछ कहना है तो कह दें।'' उन्होंने कहा, ‘‘अगर प्रतिवादी को अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका नहीं दिया जाएगा और गोली मार दी जाएगी... हो सकता है कि किसी और मुल्क में ऐसा इंसाफ होता हो, लेकिन हमारे संविधान के मुताबिक यह इंसाफ नहीं है। इसलिए यह तालिबानी इंसाफ कहीं और हो सकता है। इस मुल्क में नहीं।''

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किसी भी मुठभेड़ के बाद पुलिस को शक की नजर से देखने के सवाल पर न्यायमूर्ति सोढी ने कहा, ‘‘मुठभेड़ के बाद पुलिस पर शक का नजरिया आज तक इसलिए नहीं बदला क्योंकि पुलिस नहीं बदली। हिरासत में मौत हुई है तो कोई एजेंसी तो जांच करेगी कि कहीं आपने हत्या तो नहीं कर दी। अगर हत्या की है तो उसकी सजा आपको मिलेगी। उन्होंने कहा कि जब किसी लड़की को सड़क पर छेड़ा जाता है तो लोग उसे बचाते नहीं, बल्कि उसका फोटा या वीडियो बनाने को तैयार हो जाते हैं। ऐसे मामलों को रोकने के लिए लोगों की भागीदारी भी होनी चाहिए। हर इंसान को निजी तौर पर जिम्मेदार होना होगा।


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Seema Sharma

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