UNGA में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को दिया करारा जवाब, विश्व को दिखाया आईना

punjabkesari.in Sunday, Sep 25, 2022 - 06:38 AM (IST)

संयुक्त राष्ट्रः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के मसले पर चीन और पाकिस्तान पर शनिवार को परोक्ष निशाना साधते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र में घोषित आतंकवादियों का बचाव करने वाले देश न तो अपने हितों और न ही अपनी प्रतिष्ठा को ध्यान में रख रहे हैं। 

जयशंकर ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि कभी-कभी घोषित आतंकवादियों का बचाव करने की हद तक यूएनएससी 1267 प्रतिबंध व्यवस्था का जो राजनीतिकरण करते हैं, वे अपने जोखिम पर ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी टिप्पणी चाहे किसी भी मंशा से क्यों न की गई हो, कभी भी खून के धब्बे नहीं ढक सकती। 

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘दशकों से सीमा पार आतंकवाद का खामियाजा भुगतता रहा भारत ‘जीरो टॉलरेंस' के दृष्टिकोण की दृढ़ता से वकालत करता है। हमारे विचार में आतंकवाद के किसी भी कृत्य को कतई जायज नहीं ठहराया जा सकता है। कोई भी टिप्पणी, चाहे वह किसी भी मंशा से क्यों न की गई हो, कभी भी खून के धब्बे को ढक नहीं सकती।''

भारत उस पक्ष में है जो वार्ता कूटनीति को एकमात्र रास्ता बताता है: जयशंकर 

महीनों से जारी यूक्रेन संघर्ष के बीच भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में कहा कि वह शांति का पक्षधर है और उस पक्ष में है, जो बातचीत और कूटनीति को एकमात्र रास्ता बताता है। 

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूएनजीए के उच्च स्तरीय सत्र में कहा, ‘‘यूक्रेन संघर्ष जारी है, हमसे अक्सर पूछा जाता है कि हम किसके पक्ष में हैं। और हर बार हमारा सीधा और ईमानदार जवाब होता है।'' उन्होंने रेखांकित किया कि इस संघर्ष का शीघ्र समाधान निकालने के लिए संयुक्त राष्ट्र के भीतर और बाहर रचनात्मक रूप से काम करना अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामूहिक हित में है। राष्ट्रीय वक्तव्य देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि इस संघर्ष में भारत शांति के पक्ष में (खड़ा) है और मजबूती से रहेगा। 

उन्होंने कहा, ‘‘हम उस पक्ष में हैं जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर और उसके संस्थापक सिद्धांतों का सम्मान करता है। हम उस पक्ष में हैं जो बातचीत और कूटनीति को एकमात्र रास्ता बताता है।'' विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हम उन लोगों के पक्ष में हैं, जो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं...भोजन, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती लागत का सामना कर रहे हैं।'' जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर कहा, ‘‘दुनिया पहले से ही महामारी के बाद आर्थिक सुधार की चुनौतियों से जूझ रही है। विकासशील (देशों) की कर्ज की स्थिति अनिश्चित है।'' 

उन्होंने कहा, ‘‘इसमें अब बढ़ती लागत और ईंधन, खाद्य और उर्वरकों की घटती उपलब्धता भी जुड़ गई है। ये व्यापार व्यवधान यूक्रेन संघर्ष के कई परिणामों में से एक हैं।'' उन्होंने कहा कि मौजूदा यूक्रेन संघर्ष के नतीजों ने खासकर खाद्य पदार्थ और ऊर्जा पर आर्थिक दबाव को और बढ़ा दिया है।


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Content Writer

Yaspal

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