अपने प्रॉडक्ट्स पर 'कंट्री ऑफ ऑरिजन' लिखने को राजी हुए फ्लिकार्ट और अमेजन

punjabkesari.in Thursday, Jun 25, 2020 - 05:41 AM (IST)

नई दिल्लीः अब भारत में अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉर्मस कंपनियों को अपने प्रोडक्ट्स पर कंट्री ऑफ ओरिजन यानि जिस देश में वह प्रॉडक्ट बना है उसको प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा। सरकारी सूत्रों ने कहा है कि बुधवार को ई-कॉमर्स कंपनियों के ग्रुप ने कंट्री ऑफ ओरिजिन प्रदर्शित करने का फैसला किया है। ई-कॉमर्स कंपनियों के ग्रुप ने यह निर्णय एक वीडियो कॉफ्रेंस मीटिंग में सरकार के उस कदम के बाद लिया जिसमें सरकारी ई-मार्किटप्लेस पर प्रोडक्टस् को बेचने के लिए ‘कंट्री ऑफ ओरिजन’ प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया है।  उत्पादों में भारतीय सामग्री के प्रतिशत का उल्लेख करना भी अनिवार्य है, सरकार ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देना था। चीन के खिलाफ जारी आर्थिक गतिरोध के बीच नियमों में चीनी उत्पादों के खिलाफ बाधाओं को जोड़ने की उम्मीद है।
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सूत्रों ने कहा, 'हालांकि अभी तक ई-कॉमर्स कंपनियों पर लागू किए जाने वाले कोई नियम नहीं थे। लेकिन आज प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड डिपार्टमेंट के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में ऑनलाइन फर्मों ने कहा कि वह अपने प्रोडक्ट्स पर कंट्री ऑफ ओरिजन प्रदर्शित करेंगे। इसमें दो सप्ताह का समय लगेगा।

ई-कॉमर्स कंपनियों ने सरकार से मांगा वक्त
बता दें कि उद्योग एवं आतंरिक व्यापार प्रोत्साहन विभाग (डीपीआईआईटी) ने बुधवार को अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई- वाणिज्य प्लेटफार्म उपलब्ध कराने वाली कंपनियों से उनके प्लेटफार्म पर बिकने वाले प्रत्येक उत्पाद पर ‘‘कंट्री ऑफ ओरिजन'' का नाम अंकित किए जाने के बारे में उनके विचार मांगे हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों ने बताया कि ई- वाणिज्य कंपनियों ने कहा है कि इस प्रकार की सूचना को उत्पादों पर दर्शाने का काम हो सकता है लेकिन इसे अमल में लाने के लिए उन्हें कुछ समय देना होगा। डीपीआईआईटी द्वारा बुलाई गई बेठक में इस बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा हुई। अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नेपडील, टाटा क्लिक, पेटीएम, उड़ान और पेप्परफ्राई ने वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिये इस बैठक में भाग लिया।
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यह बैठक ऐसे समय हुई है जब लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच तनाव बना हुआ है और देश में चीन में बने सामान के बहिष्कार को लेकर आह्वान किया जा रहा है। वहीं भारत सरकार के खरीद पोर्टल जीईएम में भी सामानों के आपूर्तिकर्ता और विक्रेताओं के लिये किसी भी नये सामान को पोर्टल पर पंजीकृत करते समय उसके मूल उद्गम देश के बारे में जानकारी देना आवश्यक होगा।

सूत्रों का कहना है कि उत्पादों के मूल उद्गम देश के बारे में जानकारी प्रकाशित होने के बाद खरीदार उस सामान को खरीदने से पहले बेहतर निर्णय ले सकेंगे। बैठक में कंपनियों ने डीपीआईआईटी को यह भी सुझाव दिया कि इस बारे में वह विक्रेताओं के विचार भी जान लें तो बेहतर होगा क्योंकि अनुपालन में विक्रेताओं को भी शामिल होना होगा। सूत्रों ने बताया कि डीपीआईआईटी संभवत: कुछ दिनों में इस मुद्दे पर एक और बैठक कर सकता है। देश के खुदरा व्यापारियों के संगठन कैट ने सरकार से इसकी मांग की थी कि वह ई-वाणिज्य कंपनियों के लिये उनके द्वारा बेचे जाने उत्पादों पर ‘‘उसके मूल उद्गम स्थान अथवा देश'' के बारे में उल्लेख करना अनिवार्य करे।

AIMC ने सरकार के फैसले का किया स्वागत
कारोबारियों के संगठन अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ ने सरकारी ऑनलाइन पोटर्ल गर्वर्मेंट-ई-माकेर्टप्लेस पर प्रदर्शित उत्पादों के विनिर्माता देश के नाम का उल्लेख करने के निर्णय का स्वागत किया है। परिसंघ के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बुधवार को यहां कहा कि परिसंघ लंबे समय से इसकी मांग कर रहा था। सरकार के इस फैसले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान के बढ़ावा मिलेगा।
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उन्होंने बताया कि परिसंघ ने 15 जून को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र भेजकर ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले उत्पादों पर निर्माता देश का उल्लेख करने की मांग की थी जिसे गोयल ने स्वीकार करते हुए सबसे पहले सरकारी जीईएम पोटर्ल पर मूल देश का नाम प्रत्येक उत्पाद पर लगाने का आदेश जारी किया है। खंडेलवाल ने कहा कि सरकार का यह निर्णय सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को मान्य होगा। इस प्रावधान से अब उपभोक्ता सामान खरीदते समय ही यह जान सकेंगे की जो सामान वे खरीद रहे हैं वह किस देश का बना हुआ है और इससे उपभोक्ताओं की पसंद किसी भी तरह प्रभावित नहीं होगी। 


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Yaspal

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