दिल्ली और काठमांडू के बीच फिर शुरू होंगी उड़ानें, टूरिस्ट वीजा वालों को नहीं मिलेगी एंट्री
punjabkesari.in Friday, Dec 11, 2020 - 12:44 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्क: भारत और नेपाल ने दोनों देशों के बीच 'एयर बबल' व्यवस्था के तहत उड़ानों का परिचालन बहाल करने का निर्णय लिया है। एयर बबल व्यवस्था के तहत यात्रा से 72 घंटे पहले आरटी-पीसीआर जांच की रिपोर्ट समेत स्वास्थ्य संबंधी उन सभी दिशा-निर्देशों पर अमल किया जाएगा जिनका पालन अभी अन्य देशों के साथ किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि प्रारंभ में यह सेवा दिल्ली और काठमांडू के बीच प्रत्येक तरफ से एक उड़ान के परिचालन से शुरू होगी।
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पर्यटन वीजा रखने वालों को नहीं मिलेगी सुविधा
सूत्रों ने बताया कि हमने कुछ समय पहले नेपाल को प्रस्ताव दिया था और नेपाल ने इसके लिए अब स्वीकृति दी। हाल ही में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने हाल में नेपाल की यात्रा की थी और उन्होंने दोनों देशों के बीच विशेष संबंधों के मद्देनजर लोगों के आपसी संपर्क के महत्व को रेखांकित किया था। अगले तीन हफ्तों में नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली के भारत आने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि यह सेवा भारत और नेपाल के नागरिकों समेत उनके लिए शुरू होगी जिनके पास वैध भारतीय वीजा है। पर्यटन वीजा रखने वालों के लिए यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। भारत की ओर से विमानों का परिचालन एअर इंडिया करेगी। वहीं ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया और भारतीय मूल के लोग (पीआईओ) कार्डधारकों को भी यात्रा की अनुमति मिलेगी।
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अंतरराष्ट्रीय उड़ाने 23 मार्च से निलंबित
भारत में कोविड-19 महामारी की वजह से निर्धारित अंतरराष्ट्रीय उड़ाने 23 मार्च से ही निलंबित हैं। हालांकि वंदे भारत मिशन के तहत मई महीने से विशेष अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का परिचालन किया जा रहा है। भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस समय तनाव सामने आया जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचूला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया। नेपाल ने इस उद्घाटन का विरोध करते हुए दावा किया था कि यह मार्ग उसके क्षेत्र से होकर गुजरता है। इसके कई दिन बाद नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपना क्षेत्र बताते हुए एक नया मानचित्र जारी कर दिया।
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भारत आर नेपाल के बीच हुआ था विवाद
भारत ने नवंबर 2019 में नया मानचित्र जारी किया था, जिसमें इन क्षेत्रों को भारत का हिस्सा दिखाया गया था। नेपाल के मानचित्र जारी करने के बाद भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे ‘ एकपक्षीय कृत्य' करार दिया था और काठमांडू को आगाह किया था कि क्षेत्रीय दावों को ‘कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर' पेश करने का प्रयास न करे। पिछले महीने सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने भी नेपाल की यात्रा की थी।