कोरोना का भय, पायलट नहीं चाहते उड़ान भरना

punjabkesari.in Friday, Jun 19, 2020 - 09:12 AM (IST)

नेशनल डेस्क: देश में 3 लाख 55 हजार से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जा चुके हैं। लॉकडाऊन के बीच छूट मिलने के बाद देश में 25 मई से घरेलू उड़ानें शुरू हो चुकी हैं लेकिन कई एयरलाइंस के पायलट और चालक दल के सदस्य इस पशोपेश में हैं कि दोबारा ड्यूटी ज्वाइन करें या नहीं। इंडिगो के कमांडर नवनीत सरीन (50) भी इसी दुविधा में हैं। कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामलों के कारण गुडग़ांव में अपने बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी और बच्चों के साथ रहते सीनियर पायलट पर ड्यूटी ज्वाइन नहीं करने का पारिवारिक दबाव है। उनकी पत्नी का मानना है कि ड्यूटी ज्वाइन कर वह अपने परिवार, विशेषकर बुजुर्ग माता-पिता के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं। जो बात उनके परिवार को भयभीत कर रही है, वह कुछ पायलटों का कोरोना पॉजिटिव पाया जाना है। इस कारण सरीन का परिवार चाहता है कि वह इस साल दिसम्बर तक छुट्टी ले लें। 

 

भारतीय एयरलाइनों के वरिष्ठ कमांडर प्रति माह 5-10 लाख रुपए के बीच कमाते हैं। यह उड़ान भरने पर निर्भर करता है। सरीन, जो 10 साल से अधिक समय तक कमांडर रहे हैं, दो अलग-अलग संपत्तियों के मालिक हैं। एक में वह रहते हैं और दूसरी संपत्ति से उन्हें अच्छा किराया आता है। बिना वेतन के कुछ महीनों की छुट्टी से उनके परिवार को कोई खास नुक्सान नहीं होगा। सरीन की तरह देश में कोरोना के मरीजों की हो रही वृद्धि के चलते कई एयरलाइंस के पायलट, कैबिन क्रू और कर्मचारी अपने स्वयं के कल्याण और उनकी नौकरी की मांग के बीच संतुलन कायम कर पाने में खुद को असमंजस में पा रहे हैं। सरीन का कहना है कि घरेलू उड़ानों के फिर से शुरू होने के पहले कुछ दिनों तक भय व्याप्त था लेकिन अब उनके कई युवा सहयोगियों का कहना है कि यह डर अब समाप्त हो गया है और सब कुछ सामान्य हो रहा है।

 

छुट्टी पर जाना बेहतर मानते हैं पायलट
फिर भी, एयरलाइंस के सूत्रों से पता चलता है कि कुछ पायलटों ने संकेत दिया है कि वे महामारी के बीच में उड़ान भरने की तुलना में कुछ समय के लिए बिना वेतन के छुट्टी पर चले जाएंगे। चूंकि एयरलाइंस पूरी क्षमता से काम नहीं कर रही हैं, इसलिए यह ऐच्छिक निर्णय उन्हें विशेष रूप से प्रभावित नहीं करेगा। इंडिगो और विस्तारा दोनों के सूत्रों का कहना है कि कुछ वरिष्ठ पायलट और क्रू जिनके घर पर बुजुर्ग माता-पिता हैं, का कहना है कि वे अभी रोस्टर से दूर रहना चाहेंगे। एयर इंडिया में वरिष्ठ फ्लाइट अटैंडैंट अमृता खुराना ने पाया कि लॉकडाऊन के दौरान घर पर रहना मुश्किल था। वह हवा में रहने की आदी है लेकिन जब उसने सुरक्षात्मक गियर (निजी सुरक्षा उपकरण) में अपनी पहली उड़ान (एक प्रत्यावर्तन उड़ान) भरी तो उसने पाया कि वह उसमें सांस नहीं ले सकती। वह कहती हैं कि ‘घुटन महसूस’ होना केवल उम्र से संबंधित नहीं है और उनके कई छोटे सहयोगियों ने भी सुरक्षात्मक गियर के साथ महत्वपूर्ण समस्याओं का अनुभव किया है। उन्होंने कहा कि यदि कोई इस तरह की सावधानियों और तनाव से नहीं निपटता है तो वह खुद को खतरे में डाल रहा है। खुराना के पति और बच्चे उसे मनाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह थोड़ी देर बिना वेतन के छुट्टी पर चली जाएं।

 

उड़ान भरने पर भी भुगतान न होने का डर
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि कई एयरलाइंस के पायलट और चालक दल के सदस्य उड़ान के लिए राजी नहीं हैं, क्योंकि उनमें से कई को डर है कि उन्हें उड़ान भरने पर भी भुगतान नहीं किया जाएगा। जब से महामारी फैली है एयरलाइंस तेजी से अनिश्चित स्थिति में आ गई हैं। हालांकि कई वाहक लगभग 30-40 प्रतिशत अपने बेड़े के साथ वापस मैदान में आ गए हैं। गो एयर एक दिन में लगभग 16-20 उड़ानों का संचालन कर रही है।

 

कर्मचारियों में तनाव कम करने की जरूरत
प्रवृत्ति का ध्यान रखते हुए, विमानन अनुभवी और विशेषज्ञ शक्ति लुंबा कहते हैं कि ये असाधारण समय है और इसके असाधारण परिणाम हैं। कई एयरलाइंस ने बिना वेतन के कर्मचारियों को छुट्टी पर रखा है। अब जबकि आसमान खुल रहा है, तो उच्च जोखिम वाले कर्मचारियों (क्रू) को भी बिना वेतन के छुट्टी के विकल्प का अधिकार है। इससे एयरलाइन का परिचालन प्रभावित होने की संभावना नहीं है। एयरलाइंस कर्मचारियों को शांत करने की आवश्यकता है क्योंकि वे कई जिंदगियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं लेकिन वेतन में कटौती, अनिश्चित भविष्य और इससे भी ऊपर, वायरस के संपर्क में आने के जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। एयरलाइंस कर्मचारियों के तनाव का स्तर बढ़ रहा है- ऐसी स्थिति जहां गलतियों से इंकार नहीं किया जा सकता।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

vasudha

Recommended News

Related News