राष्ट्रपति चुनाव: शरद पवार के बाद अब फारुक अब्दुल्ला भी पीछे हटे, क्या ये है वजह?

punjabkesari.in Saturday, Jun 18, 2022 - 06:09 PM (IST)

नेशनल डेस्कः नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में अपना नाम वापस लेते हुए कहा कि वह ‘‘बेहद महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहे जम्मू-कश्मीर'' का रास्ता तय करने में अपनी भूमिका निभाना चाहेंगे। हालांकि, उन्होंने अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए उनका नाम का प्रस्तावित करने को लेकर विपक्ष के नेताओं को धन्यवाद दिया।

नेकां द्वारा जारी बयान के अनुसार, लोकसभा सदस्य ने कहा कि भारत के राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त विपक्ष के संभावित उम्मीदवार के रूप में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा उनका नाम प्रस्तावित किए जाने पर वह सम्मानित महसूस कर रहे हैं। अब्दुल्ला ने एक बयान में कहा, ‘‘ममता दीदी द्वारा मेरे नाम का प्रस्ताव रखे जाने के बाद मुझे विपक्ष के कई नेताओं का कॉल आया और वे उम्मीदवार के रूप में मेरे नाम का समर्थन कर रहे हैं।''

नेकां प्रमुख ने कहा कि उन्होंने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और परिवार के सदस्यों के साथ इस ‘‘अप्रत्याशित'' घटनाक्रम पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे जो समर्थन मिला है, उससे मैं बहुत खुश हूं और सम्मानित महसूस कर रहा हूं कि देश के सर्वोच्च पद के लिए मेरे नाम पर विचार किया गया। मेरा मानना है कि जम्मू-कश्मीर इस समय बहुत महत्वपूर्ण समय से गुजर रहा है और इन अनिश्चित समय में उसे मेरे प्रयासों की जरूरत है।''

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि ‘‘सक्रिय राजनीति में अभी उन्हें बहुत कुछ करना है और वह जम्मू-कश्मीर तथा देश की सेवा में अभी बहुत कुछ करना चाहते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैं विचारार्थ अपने नाम को पूरे सम्मान के साथ वापस लेना चाहता हूं तथा मैं संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन करूंगा।''

क्या है राष्ट्रपति चुनाव का गणित
अगर राष्ट्रपति चुनाव की गणित के हिसाब से देखें तो राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए कम से कम 5,43,216 वोट चाहिए होंगे। लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 233 सदस्यों को वोटों को मिलाकर वैल्यू 543200 है। सभी राज्यों की विधानसभा सदस्यों की कुल वोट वैल्यू 543231 है। यानी संसद के सदस्यों और सभी विधानसभाओं के सदस्यों का कुल वोट वैल्यू 1086431 है। 

देश की मौजूदा राजनीति में दो गठबंधन एनडीए और यूपीए ही अस्तित्व में हैं। राष्ट्रपति चुनाव के नजरिए से देखें तो एनडीए के पास करीब 48 फीसदी वोट हैं और उसके उम्मीदवार को जीतने के लिए 10 हजार से कुछ ज्यादा वोटों की जरूरत है। वहीं यूपीए के पास इस समय 23 फीसदी के आसपास वोट हैं। अगर संयुक्त विपक्ष की बात करें तो उसके पास करीब 51 फीसदी तक वोट हो जाते हैं। 

लेकिन सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट हो जाएंगी ये अभी दूर की कौड़ी नजर आती है। साल 2017 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस ने एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में वोट किया था। बीजेपी इस बार भी इन दोनों पार्टियों की अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है। विपक्ष की ओर से भले ही इस चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम सामने आ रहे हैं लेकिन एनडीए की ओर से अभी तक पत्ते नहीं खोले गए हैं। माना जा रहा है कि एनडीए में शामिल बीजेपी कोई चौंकाने वाला नाम आगे कर सकती है।


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Content Writer

Yaspal

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