किसान आंदोलन पर दुनिया की नजरः टेंशन में पाकिस्तान, इमरान को सर्जिकल स्ट्राइक का डर व ब्रिटिश PM कन्फ्यूज

punjabkesari.in Thursday, Dec 10, 2020 - 01:45 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क (तनुजा तनु):  भारत में नए कृषि बिलों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। कनाडा के बाद ब्रिटेन और अमेरिका में भी इस आंदोलन को लेकर आवाज बुलंद हो रही है।  विदेशों में बसे प्रवासी भारतीय जहां इस मामले को लेकर चिंता में हैं वहीं पाकिस्तान की टेंशन भी बढ़ गई है। विदेशी मीडिया में  किसान आंदोलन खूब सुर्खियां बटोर रहा है। 

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विदेशी मीडिया की नजर किसान आंदोलन पर
विदेशी मीडिया की भी नजर किसान आंदोलन पर हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि भारत की राजधानी दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश में किसान सरकार के विरोध में सड़कों पर हैं। CNN  लिखता है कि भारत की राजधानी में हजारों की संख्या में किसान कई सप्ताह से सड़कों पर कैंप लगाकर सरकार के खिलाफ बैठे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार उनकी जीविका खत्म करना चाहती है। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में अब अमेरिकी कानूनविद भी उतर आए हैं।  कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो किसानों का समर्थन कर चुके हैं  हालांकि भारत पहले ही कह चुका है कि यह उसका आंतरिक मामला है और इसमें किसी बाहरी के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। 
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पाकिस्तान  को सता रहा सर्जिकल स्ट्राइक का डर
पाकिस्तान के  प्रमुख अखबार 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' का कहना है कि खुफिया एजेंसियों को संकेत मिले हैं कि दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन से ध्यान भटकाने के लिए मोदी सरकार पाक पर सर्जिकल स्ट्राइक करवा सकती है। अखबार ने सेना के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि स्ट्राइक की आशंका के चलते पाकिस्तान ने भारत से लगी सीमाओं पर सैनिकों को चौकन्ना  कर दिया है। अखबार में लिखा है, 'भारत की हिंदुत्ववादी नरेंद्र मोदी सरकार देश में जारी विरोध-प्रदर्शनों को कमजोर करने के लिए कुछ भी कर सकती है।

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पाकिस्तान के अखबार 'जियो न्यूज' ने भी इस आशय पर खबर प्रकाशित की है। जियो न्यूज ने लिखा है कि पाकिस्तान ने भारत के किसी फ्लैग ऑपरेशन या सर्जिकल स्ट्राइक की आशंका के चलते सेना को हाई अलर्ट पर रखा है। अखबार का कहना है कि भारत अपनी आंतरिक और बाहरी समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक कर सकता है। अखबार का कहना है कि भारत पर अल्पसंख्यकों, किसान आंदोलन और कश्मीर को लेकर बहुत ज्यादा दबाव है।

 

किसानों को भड़का रहे पाकिस्तानी मंत्री
इसके अलावा पाकिस्तान भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर भी बयानबाजी कर रहा है। भारत जहां इस आंदोलन का हल निकालने की कोशिश में है। वहीं पाकिस्तान के मंत्री किसानों को भड़काने में लगे हुए हैं। इमरान खान की सरकार में मंत्री फवाद चौधरी ने कहा, 'निर्दयी मोदी सरकार को पंजाब के किसानों की कोई परवाह नहीं है।' उन्होंने भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करते हुए किसानों में फूट डालने की भी कोशिश की। 

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भारत की चिंता और तैयारी
 दूसरी तरफ भारत को चिंता है कि किसान मुद्दे की आड़ में पाकिस्तान, कनाडा जैसे देश खालिस्तानी आंदोलन को न भड़का दें। भारत नहीं चाहता है कि सिख किसानों के नेतृत्व में हो रहे आंदोलन से खालिस्तानी आंदोलन को हवा मिले।  विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार नियंत्रण रेखा और भारत-पाकिस्तान सीमा पर पाकिस्तानी सैनिकों को हाई अलर्ट पर रहने को कहा गया है, ताकि भारत के किसी भी तरह के दुस्साहस का जवाब दिया जा सके।'  लद्दाख में भी भारत चुनौतियों का सामना कर रहा है। बता दें कि भारतीय वायुसेना ने पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले के बाद फरवरी 2019 को पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित आतंकियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी।

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ब्रिटेन की संसद में उछला किसानों का मुद्दा 
 ब्रिटेन की संसद में किसानों का मुद्दा छाया रहा। ब्रिटिश संसद में उस वक्त अजीब स्थिति पैद हो गई जब लेबर पार्टी के सिख एमपी तनमनजीत सिंह धेसी ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन  का मुद्दा उठाया लेकिन पीएम बोरिस जॉनसन भारत-पाकिस्तान की समस्या पर जवाब देने लगे। बोरिस के जवाब के बाद किसी को कुछ समझ नहीं आया और तनमनजीत भी काफी कन्फ्यूज हो गए। दरअसल बोरिस जॉनसन बुधवार को भारत के किसान आंदोलन को भारत-पाकिस्तान का मुद्दा समझ बैठे । सिख एमपी तनमनजीत सिंह धेसी ने आरोप लगाया कि भारत सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है।

 

धेसी ने प्रदर्शनकारियों पर वाटर कैनन के इस्तेमाल पर भी अफसोस जताया और इस मामले में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से बयान देने को कहा । धेसी के इस बयान पर जॉनसन को लगा कि उनसे भारत और पाकिस्तान तनाव पर सवाल पूछा गया है जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि दोनों देशों को आपस में विवाद सुलझाना चाहिए। तरनजीत ने बाद में इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर भी उछालने की कोशिश की । बता दें कि लंदन में भारतीय दूतावास के सामने किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे प्रदर्शकारियों ने पिछले दिनों खालिस्तानी झंडा लहराया था जिसका वीडियो भी सामने आया है। 

 

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ट्रूडो सच में किसान हितैषी या हिमायत का ढोंग ?
 कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भले ही नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलित किसानों की हिमायत का ढोंग कर रहे हों लेकिन उनका देश विश्व व्यापार संगठन यानी डब्ल्यूटीओ में सीधे तौर पर भारत की न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति का लंबे अरसे से विरोध करता रहा है। हालांकि, एमएसपी का विरोध करने वाला वह अकेला विकिसत देश नहीं है, अमेरिका समेत कई अन्य भी इसमें शामिल रहे हैं।  ट्रूडो अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मर्यादा को लांघते हुए भारत में आंदोलन कर रहे किसानों की हिमायत कर रहे हैं ।

 

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने  भारत में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के विरोध पर   कहा, 'कनाडा हमेशा दुनियाभर में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध-प्रदर्शन के अधिकार के समर्थन में खड़ा रहेगा और हम तनाव को घटाने और संवाद के लिए कदम उठाए जाने से बेहद खुश हैं।' इससे पहले भारत ने किसान आंदोलन पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और वहां के दूसरे नेताओं की टिप्पणी पर नाराजगी जताई। विदेश मंत्रालय ने बताया कि कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया गया। उन्हें सूचित किया गया कि भारतीय किसानों से संबंधित मुद्दों पर कनाडाई प्रधानमंत्री, कुछ कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों की टिप्पणी हमारे आंतरिक मामलों में अस्वीकार्य हस्तक्षेप के समान है।

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दुनिया भर में फैले पंजाबियों में  नाराजगी
किसान आंदोलन को खालिस्तान से जोड़ने पर भी देश-विदेश के मीडिया में  प्रतिक्रियाएं सामने आईं । पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली में आकर गृह मंत्री अमित शाह को तक बता चुके हैं कि आंदोलन से देश की राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ रहा है। सोशल मीडिया में सक्रिय ट्रोल आर्मी के अलावा कुछ न्यूज़ चैनलों ने भी किसानों को खालिस्तानी बताने की कोशिश की। इससे दुनिया भर में फैले पंजाबियों में बहुत नाराजगी है जो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर साफ दिख रही है।

 

जानें कृषि बिलों को लेकर क्या है किसानों की चिंता और सरकार के जवाब 

  • किसानों को लगता है कि MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस बंद हो जाएगी जबकि सरकार का जवाब है कि MSP चल रही थी, चल रही है और आने वाले वक्त में भी चलती रहेगी। 
  • किसानों को डर है कि APMC यानी एग्रीकल्चर प्रोड्यूसर मार्केट कमेटी खत्म हो जाएगी लेकिन सरकार का कहना है कि प्राइवेट मंडियां आएंगी लेकिन APMC को भी मजबूत बनाया जाएगा। 
  •  किसान कह रहे हैं कि मंडी के बाहर ट्रेड के लिए PAN कार्ड तो कोई भी जुटा लेगा और उस पर टैक्स भी नहीं लगेगा लेकिन सरकार का वादा है कि  ट्रेडर के रजिस्ट्रेशन को जरूरी करेंगे। 
  • किसानों के मंडी के बाहर ट्रेड पर टैक्स को लेकर सरकार का जवाब है कि APMC मंडियों और प्राइवेट मंडियों में टैक्स एक जैसा बनाने पर विचार करेंगे। 
  • किसान चाहते हैं कि उनके विवाद SDM कोर्ट में न जाए क्योंकि यह छोटी अदालत है । इस पर सरकर का कहना है कि ऊपरी अदालत में जाने का हक देने पर विचार करेंगे। 
  • किसानों को डर है कि नए कानूनों से छोटे किसानों की जमीन बड़े लोग हथिया लेंगे लेकिन सरकार का दावा है कि किसानों की सुरक्षा पूरी है। फिर भी शंकाएं हैं तो समाधान के लिए तैयार हैं। 
  • इस कानून सिर्फ होल्डर्स और बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होने के सवाल पर केंद्र ने कहा कि पुरानी प्रणाली चलती रहेगी और किसानों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। 
  • एमएसपी और कन्वेंशनल फूड ग्रेन ​खरीद सिस्टम खत्म करने को लेकर सरकार का कहना है कि इस पर विचार-विमर्श के बाद ही निर्णय हो पाएगा।

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Tanuja

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