किसान विधेयक: वाईएसआर सांसद ने राज्यसभा में लहराया कांग्रेस का घोषणापत्र, हंगामा

punjabkesari.in Sunday, Sep 20, 2020 - 05:15 PM (IST)

नई दिल्लीः राज्यसभा में रविवार को कांग्रेस और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सदस्यों के बीच तीखी नोंकझोंक हुई। दोनों दलों के बीच यह नोंकझोंक उस समय हुयी जब कृषि संबंधी दो विधेयकों पर चर्चा में वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी ने कांग्रेस के बारे में एक टिप्पणी की। रेड्डी ने विधेयकों का समर्थन करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में ऐसे ही प्रावधानों का समर्थन किया था लेकिन वह अब विधेयकों का विरोध कर रही है। इस क्रम में उन्होंने कहा, ‘‘यह कांग्रेस का दोहरा मापदंड है....।''

कांग्रेस के आनंद शर्मा ने रेड्डी की टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सदस्य का आचरण सदन की परंपराओं के अनुसार नहीं है और उन्हें अपने बयान को वापस लेकर माफी मांगनी चाहिए।  उस समय पीठासीन उपसभापति एल हनुमंथैया ने कहा कि वह रिकॉर्ड पर गौर करेंगे और अगर कोई आपत्तिजनक टिप्पणी होगी तो उसे रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा। इसके बाद सदन का कामकाज सुचारू रूप से चलने लगा।

कांग्रेस ने एमएसपी खत्म करने का लगाया आरोप
वहीं, राज्यसभा में रविवार को कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समाप्त करने और कॉरपोरेट जगत को फायदा पहुंचाने के लिए दोनों नए कृषि विधेयक लेकर आई है। हालांकि सरकार ने इसका खंडन करते हुए कहा कि किसानों को बाजार का विकल्प और उनकी फसलों को बेहतर कीमत दिलाने के उद्देश्य से ये विधेयक लाए गए हैं।

राज्यसभा में कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक किसानों की आत्मा पर चोट हैं, यह गलत तरीके से तैयार किए गए हैं तथा गलत समय पर पेश किए गए हैं। पार्टी इस विधेयक का विरोध करती है। पंजाब और हरियाणा के किसानों का मानना है कि ये उनकी आत्मा पर हमला है। इन विधेयकों पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा है।

बाजवा ने आरोप लगाया कि सरकार का इरादा एमएसपी को खत्म करने का और कॉरपोरेट जगत को बढ़ावा देने का है। उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार ने नए कदम उठाने के पहले किसान संगठनों से बातचीत की थी? उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक देश के संघीय ढांचे के साथ भी खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि जिन्हें आप फायदा देना चाहते हैं, वे इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में नए कानूनों की जरूरत क्या है। उन्होंने कहा कि देश के किसान अब अनपढ़ नहीं हैं और वह सरकार के कदम को समझते हैं।

 


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Yaspal

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