कट्टर देशभक्ति, ईमानदारी, मानवता आप की विचारधारा : केजरीवाल

punjabkesari.in Tuesday, Mar 29, 2022 - 11:00 PM (IST)

नई दिल्लीः मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि कट्टर देशभक्ति, ईमानदारी और मानवता आम आदमी पार्टी की विचारधारा के तीन स्तंभ हैं और दिल्ली के 2022-23 के बजट में ये प्रदर्शित होते हैं। उन्होंने केंद्र पर उनकी सरकार को लोगों के लिये काम करने से रोकने का हर संभव प्रयास करने का आरोप लगाया। 

केजरीवाल ने यह भी कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और विमुद्रीकरण (नोटबंदी) के लागू होने से पिछले कुछ वर्षों में बेरोजगारी बढ़ी है। विधानसभा में बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और भाजपा ने पिछले 75 वर्षों में देश को “लूटा” है। उन्होंने कहा कि इन पार्टियों के पास घोटालों की लंबी फेहरिस्त है। 

दिल्ली विधानसभा में बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए आज उन्होंने केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर शहर में विकास कार्यों को ठप करने का भी आरोप लगाया। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दावा किया कि आजादी के बाद पहली बार किसी सरकार ने ‘रोजगार बजट' पेश किया। आप के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने सदन में कहा, “विधानसभा में प्रस्तुत बजट कोई साधारण दस्तावेज नहीं है, यह ऐतिहासिक है। स्वतंत्र भारत में पहली बार ‘रोजगार बजट' पेश किया गया है।” 

मुख्यमंत्री ने कहा, “बजट सभी के लिए खुशहाली लाने के वास्ते तैयार किया गया है। हम अपनी विचारधारा के कारण ‘रोजगार बजट' लाए हैं। कट्टर देशभक्ति, पूरी ईमानदारी और मानवता हमारी विचारधारा के तीन स्तंभ हैं।” बाद में दिल्ली विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए, केजरीवाल ने केंद्र पर हमला करते हुए कहा कि जीएसटी और विमुद्रीकरण के कार्यान्वयन के साथ-साथ कोविड-19 महामारी ने देश में नौकरी की स्थिति खराब कर दी है। 

उन्होंने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में, कई घटनाएं हुई हैं, जिसके कारण (देश में) बेरोजगारी बढ़ी है। ऐसी घटनाओं में जीएसटी की शुरुआत, नोटबंदी और कोरोना वायरस महामारी शामिल है, और इस सब के कारण, लोग बहुत परेशान हैं।” 

केजरीवाल ने कहा, “इस सब को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने ‘रोजगार बजट' तैयार किया है, जिसमें 20 लाख नई नौकरियां देने का वादा किया गया है।” बजट में, दिल्ली सरकार ने अगले पांच वर्षों में 20 लाख नौकरियों का वादा किया है। उन्होंने सदन में कहा कि कई राजनीतिक दल चुनाव से पहले भी ऐसा वादा करने की हिम्मत नहीं करते हैं। 


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Content Writer

Pardeep

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