Exclusive interview: ''शुभ मंगल ज्यादा सावधान'' यानी ''अपरंपरागत'' प्रेम

punjabkesari.in Friday, Feb 21, 2020 - 12:37 PM (IST)

नई दिल्ली। नेशनल अवॉर्ड विनर आयुष्मान खुराना की अपकमिंग फिल्म 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' 21 फरवरी को रिलीज हो रही है। 'गे' लव स्टोरी पर आधारित इस फिल्म को लेकर फैन्स में काफी एक्साइटमेंट है। हितेश कैवल्य के डायरेक्शन में बनीं यह फिल्म 'शुभ मंगल सावधान' का सीक्वल है।

फिल्म के ट्रेलर में आयुष्मान और जितेंद्र के बीच एक लिपलॉक दिखाया गया है जिसने काफी सुर्खियां बटोरी हैं। इस फिल्म में आयुष्मान,  जितेंद्र के अलावा नीना गुप्ता और गजराज राव और मनु ऋषि मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म प्रोमोशन के लिए दिल्ली पहुंची टीम ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार के साथ खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश...

समाज को इस फिल्म की जरुरत है: आयुष्मान खुराना
परदे पर समलैंगिक प्रेमी का किरदार चुनने की खास वजह यही रही कि समाज को इस फिल्म की जरुरत है। हमारे यहां समलैंगिक व्यक्तियों को बचपन से ही तंग किया जाता है। यह हर एक इंसान का अधिकार और आजादी है कि वह कैसी जिंदगी जीना चाहता है, किसके साथ रहना चाहता है किससे शारीरिक सम्बंध रखना चाहता है। इससे किसी और को दिक्कत नहीं होनी चाहिए। सबसे बड़ी बात ये है कि ये एक पारिवारिक मनोरंजक फिल्म है और इसे पूरे परिवार को एक साथ देखना चाहिए।

Shubh Mangal Zyada Saavdhan

लड़के के साथ किस दिखाना जरूरी था
फिल्म में एक लड़के को किस करते हुए दिखाना बहुत जरूरी था। लोग बोलते हैं कि ऐसा करना प्राकृतिक नहीं है, ये सामान्य नहीं है। लेकिन किसके लिए क्या सामान्य है और क्या असामान्य, यह उनको डिसाइड करने दीजिए ना। एक एक्टर होने के नाते आपको हर चीज करना पड़ती है, चाहे वो लड़की को किस करना पड़े या लड़के को किस करना पड़े। फिल्म की डिमांड केअनुसार कुछ भी करना पड़े मैं तैयार हूं।

Shubh Mangal Zyada Saavdhan

जिस नीयत से आप राह से निकलते है, वह राह कहीं न कहीं ऑडियंस समझ लेती है। इस फिल्म की कहानी पढ़कर मुझे खुद ऐसा लगा था कि इस जैसी कहानी का लोगों के सामने आना बहुत जरुरी है ताकि समाज में बदलाव आते रहें।

गंभीर फिल्म करार करना गलत':हितेश कैवल्य
शुभ मंगल ज्यादा सावधान' एक मनोरंजक फिल्म है जो लोगों को एक संदेश भी देती है। इस फिल्म को गंभीर या सिर्फ संदेश देने वाली फिल्म कहना गलत होगा। यह पूरी तरह से सम्पूर्ण पैकेज फिल्म है जिसे देखने के बाद दर्शक अपने साथ इसका एक खास संदेश भी लेकर जाएंगे। हम जैसी फिल्म बनाना चाहते थे हमने वैसी ही फिल्म बनाई है। इसे गंभीर फिल्म करार करना गलत है।'

हर प्यार को रोकने में लगा है हमारा समाज: जितेंद्र कुमार
अक्सर जो फिल्में बनती है हम देखते हैं कि हर जगह समाज दो लोगों के प्यार को रोकने की कोशिश में लगा रहता है। हमारे समाज में प्रदूषण से लेकर तमाम बड़ी समस्याएं हैं मगर हम प्यार को खतरा मानते हैं। हमें लोगों को प्यार करने देना चाहिए ना कि रोकना चाहिए। बहुत सारे मुद्दे हैं जिनपर समाज ध्यान दे तो बेहतर है।

दिमाग से नहीं निकल रही ये फिल्म: भूषण कुमार
मैं बहुत खुश हूं कि एेसी फिल्में बन रही है। मैं फिल्म को जज करता हूं, अगर मैने कोई फिल्म शाम को देखी और कल तक वो मेरे दिमाग है तो इसका मतलब फिल्म पास है। शुभ मंगल ज्यादा सावधान तो मेरे दिमाग से निकल ही नहीं रही।

समलैंगिकता पर समाज की सोच जरूर बदलेगी: नीना गुप्ता
मुझे लगता है कि समलैंगिकता को लेकर समाज की सोच बदलने में समय लगेगा। सुप्रीम कोर्ट ने एक वर्ग को जिस तरह से आजादी दी है उसके बाद भी यह टैबू सब्जेक्ट बना हुआ है समाज में। बहुत साल लगेंगे इसको स्वीकार करने में और रिस्पेक्ट करने में। अब यह बायलॉजिकल है। इसमें उनकी गलती नहीं है। जिसने हमको रचा, उसी ने ही इसको भी रचा है।

बहुत खुश हूं नीना जी के साथ काम करके:
मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि मुझे नीना जी के साथ काम करने का मौका मिल रहा है। मैं शुक्रिया अदा करना चाहूंगा हमारे डायरेक्टर्स और ऑडियन्स का, कि वे हमारी जोड़ी को पसंद कर रहे हैं और मैं उम्मीद करता हूं कि और भी लेखक और डायरेक्टर्स, हम दोनों को लेकर कुछ और दिलचस्प प्रोजेक्ट्स प्लान करेंगे।


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Chandan

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